चाईबासा (CHAIBASA): कोल्हान प्रमंडलीय पश्चिमी सिंहभूम जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष विपिन पूर्ति के इस्तीफे के बाद कई लोग इस कुर्सी को संभालने की दौड़ में है. जिसमें आदिवासी-गैर आदिवासी और दलित-पिछड़े करीब हर समाज के नेता शामिल हैं. इस खबर में जानिये कि आखिर, पार्टी के जिला प्रमुख का ताज कौन पहनेगा. 

 न हो और ना ही सामान्य वर्ग के अध्यक्ष हो सके सफल

जिला में हो आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है. विधानसभा की पांच सीट हो बहूल है.  आरक्षित है.  लोकसभा सीट भी अरक्षित है. दूसरी ओर सामान्य जाति के लोगों की तादाद भी बढ़ी है. दोनों वर्ग के नेताओं को जिले में पार्टी संगठन को मजबूत बनाने की बागडोर सौंपी गई थी. मगर ना सामान्य जाति के नेता सफल हुए और ना आदिवासी हो नेता सफल हुए. 

इसे भी पढ़ें: CHAIBASA: भाजपा अध्यक्षों का टोटा, 6 साल में 4 जिलाध्यक्षों नें दिया इस्तीफा

हर पार्टी के नेता ताल ठोक रहे

पश्चिमी सिंहभूम जिला में भाजपा के लिए 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव चुनौती है. इस चुनाव को लेकर पार्टी में चर्चा का बाजार गर्म है कि आखिर कौन पश्चिमी सिंहभूम जिलाध्यक्ष का कांटो भरा ताज पहनेगा. जबकि जिलाध्यक्ष की दावेदारी के लिए एक ओर जहां भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास गुट के नेता हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा गुट के नेता ताल ठोक रहें हैं. 

सीट संभालने के लिए सक्षम कौन ?

जमीनी हकीकत पर गौर करेंगे तो पश्चिमी सिंहभूम जिले में भाजपा के पास कहने को तो कई बड़े नामचीन नेता हैं, लेकिन हकीकत में वे सभी नेता अपने दम पर लोकसभा और विधानसभा में सीट निकालने के सक्षम हैं. यहां सभी सिर्फ और सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर जीतना चाह रहे हैं. उनके पास खुद को अपना कोई जनाधार नहीं है कि अपने बल पर विधानसभा या लोकसभा की सीट निकाल सकें. पिछले चुनाव पर गौर करें तो आदिवासी चेहरे के रूप में पार्टी ने जेबी तुबिद,  भूषण पाठ पिंगुवा और गुरुचरण नायक और फिर पूर्व मंत्री बड़कुंवर गगराई चुनाव हार चुके हैं. अब सवाल यह भी उठ रहा कि भाजपा के पास चक्रधरपुर से महिला नेत्री मालती गिलुवा या फिर झामुमो से आए पूर्व विधायक शशिभूषण सामड में से प्रत्याशी कौन होगा? पार्टी में अभी से इसकी भी चर्चा होने लगी है. सूत्रों की मानें तो फिलहाल पार्टी में पिछले छह सालों से गुटबाजी इस कदर हावी है कि आज तक पार्टी उभर नहीं पायी है. जिसके नतीजे में पिछले छह साल में पांच जिलाध्यक्षों को अपने पद से इस्तीफा दे ना पड़ा है.

 

रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा