रांची- लगभग ढाई साल के बाद भाजपा और आजसू की दोस्ती के खटास के खामियाजा का अनुमान लगाया जा रहा है.2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग को लेकर तकरार हो गई थी और एनडीए के पार्टनर भाजपा और आजसू की राह बदल गई थी. जिसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है. रघुवर सरकार सत्ता से बेदखल हो गई.

भाजपा से नाता तोड़ आजसू ने उठाया था नुकसान


 यह स्वीकारोक्ति धीरे-धीरे सामने आ रही है.आजसू के सुप्रीमो सुदेश महतो अब भाजपा के साथ ताल से ताल मिला कर चल रहे हैं. 2020 में हुए राज्यसभा चुनाव में भी आजसू ने भाजपा प्रत्याशी दीपक प्रकाश का साथ दिया था. मांडर विधानसभा उपचुनाव में भी आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो नामांकन में शामिल हुए.

आजसू के लिए भाजपा ही विकल्प

इससे पूर्व उप चुनाव में भी आजसू भाजपा के साथ खड़ी रही ऐसा लग रहा है कि भाजपा और आजसू दोनों को यह समझ में आ गया है कि मिलजुल कर रहने से ताकत बढ़ेगी. रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो मिले थे.गेस्ट हाउस में थोड़ी देर की ही मुलाकात हुई थी. आजसू सुप्रीमो ने कहा कि जेपी नड्डा से उनका पुराना संबंध है और एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अध्यक्ष का मिलना बहुत स्वाभाविक है.इस दौरान राजनीतिक बातचीत हुई.

अध्यक्ष ने कहा आजसू पुराना साथी

इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि आजसू एनडीए का पुराना पार्टनर है झारखंड गठन के बाद से ही आजसू और भाजपा कि दोस्ती रही है.2019 में थोड़ी गलतफहमी की वजह से इस में दरार आ गई थी जो अब दूर हो गई है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने संकेत दिया है कि झारखंड में गठबंधन सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए एकजुटता जरूरी है. यानी दोस्ती और गाढ़ी हुई है.