धनबाद (DHANBAD):  तिरंगा यात्रा में भी भाजपा की अंदरूनी कलह की गांठ खुल ही गई.  शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की उपस्थिति में विधायक ढुल्लू महतो की  रैली में धनबाद विधायक राज सिन्हा और पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल की गैरमौजूदगी इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है. जैसी की जानकारी है, दोनों नेताओं को आमंत्रण भी नहीं दिया गया था. विधायक राज सिन्हा ने कहा कि उन्हें आमंत्रण नहीं मिला था. यह  कार्यक्रम धनबाद  विधान सभा क्षेत्र में किया गया था. 

सांसद मौजूद थे लेकिन नहीं थे विधायक और पूर्व मेयर 
 
शनिवार को ढुल्लू महतो की रैली को उनका शक्ति प्रदर्शन कहा जा रहा है.  रैली में काफी भीड़ थी , धनबाद के बिरसा स्टेडियम में पर्याप्त व्यवस्था की गई थी.  लोक नृत्य का कार्यक्रम भी चल रहा था.  स्टेडियम तक भारी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे.  कार्यक्रम में सांसद पशुपतिनाथ सिंह मौजूद थे, लेकिन धनबाद विधानसभा में पड़ने वाले बिरसा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में धनबाद के विधायक को नहीं देख कर लोग प्रश्न खड़े करने लगे थे.  बता दें कि शनिवार की रैली के लिए ढुल्लू महतो की ओर से पूरी तैयारी की गई थी और रैली भी सफल रही.  मंच पर उनकी पत्नी भी मौजूद थी.  राजनीतिक जानकार इस पूरी रैली को धनबाद नगर निगम के मेयर के चुनाव से जोड़कर देख रहे है.

मेयर पद की उम्मीदवार हो सकती हैं  विधायक ढुल्लू महतो की पत्नी
 
विधायक ढुल्लू महतो की पत्नी  मेयर पद की उम्मीदवार हो सकती हैं, दूसरी ओर शेखर अग्रवाल निर्वत मान मेयर है. इसलिए भी हो सकता है कि उन्हें आमंत्रण नहीं दिया गया हो ,दूसरी ओर विधायक ढुल्लू महतो को ऐसा लगता होगा कि मेयर के चुनाव में धनबाद विधायक उनका समर्थन नहीं कर सकते है.  वैसे राज सिन्हा पिछले एक  सप्ताह से तिरंगा यात्रा को लेकर काफी सक्रिय थे, लेकिन इसी बीच  मिर्जापुर और महाकाल के दर्शन को चले गए थे.  महाकाल और माता विंध्यावासनी  के दर्शन के फोटो उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट भी किया है.  कुल मिलाकर यह  कहा जा सकता है कि बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में हुई रैली में धनबाद भाजपा के सभी बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी आगे भी सवालों को खड़ा करती रहेगी.  

जिला संगठन भी सवालों के घेरे में 

जानकार बताते हैं कि आपसी खींचतान तो चल ही रही थी लेकिन धनबाद विधायक राज सिन्हा के द्वारा धनबाद में पानी -बिजली संकट के खिलाफ किए गए अनशन में बीज अंकुरित हुआ ,उस धरना कार्यक्रम में भी  विधायक ढुल्लू महतो नहीं दिखे और नहीं पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल.  भाजपा के  तटस्थ कार्यकर्ता इस सब के लिए जिला संगठन को जिम्मेवार मानते हैं.  विधायक राज सिन्हा के धरना में भी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पहुंचे थे, लेकिन उस समय भी संगठन सभी नेताओं को एकजुट नहीं कर पाया था और यही हाल शनिवार को तिरंगा रैली में भी देखने को मिला.  भाजपा के लोकल नेता और कार्यकर्ता  कह रहे हैं कि कार्यक्रम चाहे जो भाजपा नेता का हो लेकिन सबको आमंत्रित करना, उन्हें मंच देना यह सब जिला संगठन की जिम्मेवारी होनी चाहिए.