टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सीनीयर IAS अधिकारी विनय चौबे से बीते कल यानी 20 मई को लंबी पूछताछ के बाद एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया. उन्हें कोर्ट में पेशी के बाद 15 दिनों के लिए रिमांड पर भेजा गया है. अब इसको लेकर कई तरह के सवाल उठने शूरू हो गए हैं. कहा जा रहा कि सीबीआई जांच से बचने के लिए एसीबी ने यह कार्रवाई की है. यह पहली बार है कि प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी को एसीबी ने जेल भेजा है. इतना ही नहीं, यह भी पहली बार है कि एसीबी ने प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज कर विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह को जेल भेजा गया है. वहीं अब इस मामले को लेकर भाजपा भी राज्य सरकार पर हमलावर है. हेमंत सरकार को घेरते हुए बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बड़ी मछलियों को बचाने के लिए ACB ने IAS विनय चौबे को गिरफ्तार किया है.
तो क्या पावर प्ले में बोल्ड हुए IAS विनय चौबे?
एक समय में IAS विनय चौबे मुख्यमंत्री हेमंत सोरन के करीबी की गिनती में आते थे. 2022 की आबकारी नीति के क्रियान्वयन के दौरान आईएएस विनय चौबे हेमंत सोरेन के करीबी थे. विनय चौबे पर एक सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने के लिए नीति बदलने का आरोप है, जिसमें शराब आपूर्ति और मैनपावर आपूर्ति के टेंडर में धांधली की गई. हालांकि यह पहली बार है कि प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी विनय कुमार चौबे को एसीबी ने जेल भेजा है. यहां यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि IAS विनय चौबे पावर प्ले में बोल्ड हो गए. इतना ही नहीं, यह भी पहली बार है कि एसीबी ने प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज कर विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह को जेल भेजा है.
अब जब एसीबी ने IAS विनय चौबे को गिरफ्तार किया है तो कई बड़े खुलासे होने की संभावना है. रायपुर की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने सीबीआई को जांच के लिए अनुशंसा किया है, पूरे जांच की कॉपी भेजी गई है. संभावना जताई जा रही है कि उसे मामले में सीबीआई एंट्री कर सकती है.
जानिए क्या है पूरा मामला?
बताते चलें कि झारखंड में शराब घोटाला 31 मार्च 2022 से लागू होने वाली नई आबकारी नीति से जुड़ा है. इसके तहत आरोप है कि तत्कालीन आबकारी सचिव और अन्य अधिकारियों ने योजना बनाकर जनवरी 2022 में झारखंड में आबकारी नीति में बदलाव करने के लिए छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ रायपुर में बैठक की थी. इसके अलावा यह भी आरोप है कि आबकारी नीति लागू होने के बाद भी छत्तीसगढ़ की एजेंसियां लगातार 2 साल तक झारखंड की आबकारी नीति में काम करती रहीं. फर्जी होलोग्राम और अवैध शराब की सप्लाई से झारखंड सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ.
दो साल तक चली झारखंड में नई शराब नीति
साल 2022 में झारखंड में नई शराब नीति लाई गई. बताया गया था कि इस नीति से सरकार को बड़ा मुनाफा होने वाला है. लेकिन इस नीति को लागू होते के 2 साल तक करोड़ों का घोटाला शराब के जरिए हो गया. सरकार के खाते में पैसे ना जाकर एक सिंडिकेट बना और उन तमाम लोगों के जेब में पैसा पहुंच गया. उसके कई किरदार छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार हो गए और आखिरकार एसीबी ने भी इस मामले की जांच करने को लेकर मामला दर्ज किया.
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