पलामू (PALAMU) : पलामू के किसान आज भी खाद के लिए भटक रहे हैं. अप्रैल से अगस्त 2025 तक जिले में कुल 8179 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराया गया, इसके बावजूद किसानों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. यह स्थिति बेहद गंभीर है और जिला प्रशासन व कृषि विभाग की भूमिका पर गहरे सवाल खड़े करती है.
हकीकत यह है कि प्रशासन की मिलीभगत से यूरिया की कालाबाज़ारी खुलेआम चल रही है. स्टॉकिस्ट सरकार द्वारा तय कीमत से ज्यादा मूल्य पर खुदरा व्यापारियों को यूरिया बेच रहे हैं, और खुदरा व्यापारी वही महंगा यूरिया किसानों को देने को मजबूर कर रहे हैं. यह किसानों की सीधी लूट है और भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है.
यह मुद्दा पूर्व मंत्री कमलेश सिंह ने उठाया है. उन्होंने आगे कहा कि वह सांसद विष्णु दयाल राम की सराहना करते हैं क्योंकि उन्होंने किसानों की पीड़ा को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर पलामू में पर्याप्त यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की है. उनका यह कदम निस्संदेह प्रशंसनीय है.
लेकिन केवल आपूर्ति बढ़ाना ही काफी नहीं है. जरूरी है कि किसानों को यूरिया उपलब्ध हो और वह सरकार द्वारा तय कीमत पर ही उपलब्ध हो. साथ ही इस कालाबाज़ारी में शामिल सरकारी कर्मचारियों, स्टॉकिस्टों और खुदरा व्यापारियों की निष्पक्ष जांच कर उन पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए.
पलामू की धरती मेहनतकश किसानों की है. उनकी पीड़ा को अनसुना करना अब और संभव नहीं है. ऐसे में यदि प्रशासन ने तत्काल स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया तो किसानों का आक्रोश बड़े आंदोलन का रूप लेगा और इसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन को उठानी होगी.
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