लोहरदगा (LOHARDAGA) : लोहरदगा जिला पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां के पहाड़ों में कई अविश्वसनीय प्रकृति के रहस्य छिपे हुए हैं, जिसके बारे में अभी बहुत ही कम लोग ही जान पाए हैं. ऐसा ही एक रहस्य है चूल्हापानी. चूल्हापानी को दामोदर नदी का उद्गम स्थल के रूप में भी जाना जाता है. इसी चूल्हापानी की इस जड़ से होते हुए पठार के बीच से दामोदर नदी निकलती है. यह कुदरत का ऐसा करिश्मा जो आपको हैरान कर देगा.

इस जलधारा में स्नान से दूर होते हैं रोग

कुडू प्रखंड में पड़ने वाले इस इलाके में पेड़ की जड़ों से निरंतर निकलती यह जल धारा आगे बढ़कर धीरे-धीरे विशाल दामोदर नदी का रूप ले लेती है. पेड़ की जड़ों से जलधारा निकलती तो दिखाई देती है, मगर, कमाल की बात ये है कि इस पेड़ के पीछे कोई जल धारा नहीं दिखती है.  इस स्थल पर बस आपको पहाड़ और पेड़ ही दिखाई पड़ेगी. यहां का जल औषधि के रूप में भी काम करता है. यहां निरंतर स्नान करने और यहां के निकास जल को पीने से चर्म रोग जैसे रोग दूर होते हैं. चूल्हापानी से निकलने वाली जलधारा का तापमान मौसम के विपरीत होता है जहां इसका तापमान गर्मियों में ठंडा हो जाता है तो वहीं सर्दियों में यह जल गर्म रहता है.

माता सीता ने इस चूल्हे पर बनाई थी खिचड़ी  

चूल्हापानी की खास मान्यताएं भी है, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि वनवास काल में माता सीता भगवान राम और लक्ष्मण के साथ इस रास्ते से होकर गुजरी थी. यह वही स्थान है जहां पर उन्होंने चूल्हा बना कर उसमें खिचड़ी बनाकर खायी थी. इसके बाद से ही इस चूल्हे से कल-कल करते हुए जलधारा बहने लगी. उसी के बाद इस स्थल का नाम चूल्हापानी पड़ा. हम ने पहाड़ों के बीच जाकर इस दुर्गम और रहस्यमय स्थल को सामने लाने का प्रयास किया है, जिससे आगे जाकर इस स्थल का विकास हो सके और इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में जिला प्रशासन और सरकार विकसित कर सके, ताकि लोग कुदरत के इस करिश्मे को नजदीक से देख पाए.

रिपोर्ट : गौतम लेनिन, लोहरदगा