टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : पति की मौत के बाद एक अनपढ़ पत्नी ने अपने दो बेटों को पाल-पोसकर कुछ इस कदर बनाया कि उसके दोनों बेटे डॉक्टर बन गए. बड़ा बेटा फिलहाल इंग्लैंड में है, जबकि दूसरा लखनऊ में. अपने दो बेटों को संभालनेवाली मां पूरी जिंदगी सीसीएल में पीयून की नौकरी की. उसकी रिटायरमेंट के दिन बड़ा बेटा इंग्लैंड से और छोटा लखनऊ से रामगढ़ के केदला पहुंचा.
यह कहानी सीसीएल की केदला उत्खनन परियोजना में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी सोनमती देवी की है. उनके रिटायरमेंट पर शनिवार की शाम परियोजना के एक्सावेशन वर्कशॉप में विदाई समारोह का आयोजन किया गया. सोनमती देवी के सेवानिवृत्त होने पर उनका एक बेटा डॉ नीरज कुमार जो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एडेनब्रुक हॉस्पिटल में फेलोशिप कर रहे हैं वहां से अपनी पत्नी निक्की के साथ समारोह में शामिल होने के लिए आए. मौके पर सहकर्मियों ने साड़ी सेट, शॉल, बैग और छाता उपहार देकर सोनमती देवी को सम्मानित किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केदला पीओ एसके त्रिवेदी ने कहा कि सोनमती देवी के पति का 1993 में निधन हो गया था. इसके बाद बहुत कठिन परिश्रम से अपने दोनों बेटों को पाला. एक बेटे ने डीएवी पब्लिक स्कूल केदला से 10वीं पास की. इसके बाद लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली में चयन हुआ. सात साल एम्स में काम करने के बाद इंग्लैंड के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स से प्रतिष्ठित एमआरसीएस डिग्री हासिल की. वर्तमान में वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के विश्व प्रसिद्ध एडेनब्रुक हॉस्पिटल में फेलोशिप कर रहे हैं. यह हम सभी के लिए गर्व की बात है. पीओ ने सोनमती देवी को जीवन का शेष समय अपने परिवार, रिश्तेदार और चारधाम की यात्रा के साथ गुजारने का सुझाव दिया.
मौके पर समारोह में अपना विचार रखते हुए डॉ नीरज ने कहा कि उनकी मां सोनमती देवी महज एक मां नहीं उनके लिए प्रेरणा, मार्गदर्शक और सबसे बड़ी शिक्षक हैं. मां मेरे जीवन में माता और पिता दोनों की भूमिका निभाई है. जिस तरह मुझे अपनी मां पर गर्व है. उसी तरह हर किसी को अपने माता-पिता पर गर्व करना चाहिए. आज मेरे अलावे मेरी पत्नी निक्की जो वर्तमान में एडेनब्रुक हॉस्पिटल कैम्ब्रिज में कैंसर विशेषज्ञ नर्स हैं, जो विश्व के शीर्ष अस्पतालों में से एक है.
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