रांची(RANCHI): राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन के द्वारा ओबीसी आरक्षण को वापस किये जाने के बाद हेमंत सरकार इसके अब इसके कानूनी बारीकियों के अध्ययन में जुट गयी है. सरकार की ओर से इसके लिए कानूनविदों की सलाह ली जा रही है, माना जा रहा है कि हेमंत सरकार इस बिल को एक बार फिर से राजभवन भेजने का निर्णय ले सकती है.
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने इसे सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन बताया था
यहां बता दें कि हेमंत सरकार ने झारखंड में विभिन्न सामाजिक समूहों का आरक्षण को बढ़ाने का निर्णय लिया था, जिसके बाद विधान सभा से इसे पारित कर विधेयक की शक्ल में राजभवन भेजा गया था, लेकिन राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की सलाह के बाद इस विधेयक को राज्य सरकार को वापस भेज दिया था. अटॉर्नी जनरल ने इस विधेयक को इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन बताया था. इंदिरा साहनी में मामले में कोर्ट ने आरक्षण का दायरा पचास फीसदी के नीचे रखने का आदेश दिया था.
ध्यान रहे कि हेमंत सरकार ने पिछड़ी जातियों के आरक्षण को 14 फीसदी के बढ़ाकर 27 फीसदी, एसटी आरक्षण को 26 से बढ़ाकर 28 फीसदी और एससी का आरक्षण को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का फैसला किया था.
ओबीसी आरक्षण पर तेज हुई राजनीति
अब राज्यपाल के द्वारा इस विधेयक को वापस किये जाने के बाद एक बार ओबीसी आरक्षण को लेकर झारखंड में राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है. ओबीसी संठगनों और राजनीतिक दलों के द्वारा इस मुद्दे पर राजनीति की शुरुआत हो चुकी है. ओबीसी आरक्षण के बहाने हेमंत सरकार को घेरने की कोशिशें की जा रही है.
 
                             
                         
                         
                        
 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
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