पटना (Patna)- करीबन दो दशकों से जिस सुशासन की छवि को लेकर नीतीश कुमार घूम रहे थें, कथित सुशासन की आड़ में जिस प्रकार लालू यादव के राज को जंगलराज बतलाकर वोट की फसल काटी जा रही थी, जिस प्रकार हर अपराध के बाद, सुशासन बाबू का एक चिरपरिचित बयान आता था कि अपराधी चाहे कोई भी हो, कानून अपना काम करेगा. लगता है कि सुशासन की वह छवि अब दरकने लगी है? जिस प्रकार खुद नीतीश कुमार के द्वारा सार्वजनिक मंचों से आनन्द मोहन को लेकर टिप्पणियां की गयी, उनके समर्थकों को यह विश्वास दिलाया गया कि सुशासन की सरकार आनन्द मोहन (अपराधियों) के पक्ष में खड़ी है, उससे इस बात को बल मिल रहा है कि कानून अपना काम करेगा की नीति सिर्फ छुट्ट भैया अपराधियों या कमजोर आर्थिक, सामाजिक और जातीय समूह से आने वाले अपराधियों के प्रति थी.
दंबग जातियों के अपराधियों के सामने डोलने लगती है सुशासन बाबू की नीयत
लेकिन जब सुशासन के सामने आनन्द मोहन जैसा कोई बाहुबली खड़ा हो, या अपराधी किसी खास दंबग जाति से आता हो, या अपराधी की जाति के बारे में यह भ्रम पाला जाता हो कि उस विशेष जाति के द्वारा सामाजिक-राजनीतिक रुप से कमजोर दूसरी जातियों का वोट किसी खास राजनीति दल में स्थानांतरित करवाया जा सकता है, तब उस जाति से आने वाले अपराधियों के सामने सुशासन बाबू की नीयत डोलने लगती है, तब कानून अपना काम करेगा सिर्फ एक राजनीतिक जुमला बन कर रह जाता है.
दलित आईएएस कृष्णनैया के हत्या के आरोप में जेल में बंद है आनन्द मोहन
आज सूबे बिहार में इस बात की चर्चा पूरे जोर पर है कि ऐसी कौन सी राजनीतिक विपदा आ पड़ी की सुशासन बाबू उस आनन्द मोहन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जिसे एक दलित आईएएस कृष्णनैया की हत्या के मामले में आजीवन कारवास की सजा सुनाई गयी है. आज बिहार की गलियों में यह सवाल पूछा जाने लगा है क्या नीतीश कुमार की यही रहमदिली उन अपराधियों से प्रति होगी, जो वंचित समुदायों से आते हैं. क्या अब जेल में बंद अपराधियों को उसकी जाति देख कर छोड़ी जायेगी? क्या इसी राजनीतिक सामाजिक भेदभाव को सुशासन कहा जाता है?
बहन मायावती ने नीतीश कुमार से पुनर्विचार का किया आग्रह
अब इस बहस में बहन मायावती ने भी घी डाल दिया है. बहन मायावती ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि “बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है”बहन मायावती ने आगे लिखा कि “आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करें”
 
                             
                         
                         
                        
 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
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