देवघर: जैसा कि सर्वविदित है, देवघर तथा इसके आसपास के क्षेत्र में जल के अभाव के कारण खेती करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कृषि-योग्य भूमि रहते हुए भी सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी के अभाव में यहाँ के किसानों के फसल उत्पादन में निरन्तर गिरावट देखने को मिल रही है. इसी समस्या को देखते हुए सत्संग आश्रम देवघर की ओर से भारतीय कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से मेढ़वाले ऊपरी भूमियों एवं वर्षा पर आश्रित सूखाप्रवण उथली-निचली जमीनों के लिए सूखा सहिष्णु धान की किस्म के बीजों का वितरण किया गया. सहभागी धान के किस्म को, जिसे IR 74371-70-1-1-CRR-1 भी कहा जाता है, CRRI तथा IRRI द्वारा विशेष रूप से झारखंड एवं ओड़िशा के किसानों के लिए जारी किया गया था. यह एक कम अवधि (100 दिन) में पकने वाली धान की किस्म है जो 85-90 सेंटीमीटर तक बौनी होती है. यह सूखा सहिष्णु है. यह धान की किस्म ऊपरीभूमि, वर्षाश्रित सीधी बुआई और रोपाई दोनों परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. इसका दाना लंबा और मोटा होता है, और इसकी भूसी सुनहरे रंग की होती है. इसकी औसत उपज 3.8-4.5 टन प्रति हेक्टेयर है. यह पत्ता झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी है, और भूरा धब्बा, आच्छद विगलन, तना छेदक और पत्ता मोड़क के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है.
सत्संग आश्रम के सहयोग के कारण विगत सप्ताह देवघर क्षेत्र के कई गाँवों के किसानों को इसका लाभ मिला जिसमें राकुडीह के मृत्युंजय राऊत, सकलदीप राऊत तथा सहदेव मंडल, बसन्तपुर के गौतम राय, बनोगा के मंगल मिश्रा, खेरकुटी के तुलेश्वर यादव, तपोवन के प्रमोद यादव, गोपालपुर के भोला सिंह इत्यादि शामिल हैं. इस अवसर पर सत्संग आश्रम की ओर से श ब्रजसुन्दर साहू तथा कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से डा. राजन ओझा उपस्थित थे. आने वाले समय में सत्संग आश्रम की ओर से कृषि में होने वाले लगातार नुकसान को रोकने के लिए और भी अनेक उपाय करने में किसानों को हर सम्भव मदद देने की कोशिश की जायेगी.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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