पटना(PATNA):मीडिया से बातचीत पर रोक के पूर्व आदेश को लेकर उठे विवाद के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय अब बैकफुट पर आता दिख रहा है. बुधवार को मुख्यालय ने एक स्पष्टीकरण पत्र जारी कर स्थिति को स्पष्ट किया है, जिसमे जिला और प्रभागीय स्तर पर मीडिया से संवाद की पूर्व व्यवस्था को बहाल करने की बात कही गई है.दरअसल, 22 जनवरी को डीजीपी विनय कुमार की ओर से एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को मीडिया को ‘बाइट’ देने से मना कर दिया गया था. 

 विवाद पर बैकफुट पर आया बिहार पुलिस मुख्यालय

इस आदेश के मुताबिक, केवल पुलिस मुख्यालय स्तर पर नामित प्रवक्ता ही मीडिया को जानकारी देने के लिए अधिकृत थे.इस आदेश के सामने आने के बाद मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, और इसे पुलिस प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल के रूप में देखा गया.

स्पष्टीकरण में क्या कहा गया है

बुधवार को जारी नए पत्र में कहा गया है कि महत्वपूर्ण मामलों में पुलिस मुख्यालय के लिए अधिकृत प्रवक्ता (अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय) ही डीजीपी की स्वीकृति के बाद प्रेस नोट पढ़कर मीडिया को जानकारी देंगे.विभागीय मामलों में, संबंधित प्रभागीय प्रमुख भी डीजीपी की स्वीकृति के बाद मीडिया को जानकारी दे सकेंगे.जिला स्तर पर, पूर्व की भांति वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी)/पुलिस अधीक्षक (एसपी) या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी मीडिया को जानकारी देने के लिए अधिकृत रहेंगे.

स्पष्टीकरण के मायने

इस स्पष्टीकरण को पुलिस मुख्यालय द्वारा दबाव में लिया गया सुधारात्मक कदम माना जा रहा है.प्रशासनिक गलियारों में इसे एक "डैमेज कंट्रोल" के रूप में देखा जा रहा है, ताकि जिला स्तर पर कार्यरत अधिकारियों को स्वतंत्र रूप से मीडिया से संवाद करने की सहूलियत मिल सके और आम जनता तक सूचनाएं सहजता से पहुंच सकें.मीडिया से संवाद पर प्रतिबंध का पुराना आदेश न केवल सूचना के अधिकार पर सवाल उठाता था, बल्कि स्थानीय स्तर पर त्वरित जानकारी देने में बाधा भी उत्पन्न कर सकता था.नए स्पष्टीकरण ने फिलहाल इस आशंका को कुछ हद तक दूर किया है.