पटना (Patna): ऑपरेशन आरसीपी के बाद नीतीश बेहद सतर्क हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से सांगठनिक मामले में उनकी सक्रियता तेज हुई है. वह लगातार पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात कर संगठन का हाल जानने की कोशिश कर रहे हैं. राज्य स्तर से लेकर वह जिला स्तर के पदाधिकारियों से मुलाकात का सिलसिला आज भी जारी है. उनके मन से 2020 की वह टीस बाहर नहीं निकल रही है, जब जदयू महज 43 सीटों पर सिमट गया था. नीतीश कुमार इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि टिकट बंटवारें से लेकर संगठन की वह पूरी जिम्मेवारी आरसीपी सिंह सौंपना उनकी बड़ी सियासी भूल थी, उन्हे तो इस बात का भान भी नहीं था, उनका सबसे मजबूत प्यादा भाजपा के हाथों खेल रहा है. और एक सुनियोजित तरीके से पार्टी के जनाधार को खत्म करने की साजिश उनकी ही आंखों के सामने रची जा रही है. जब तक उन्हे इसका एहसास हुआ, आरसीपी सिंह काफी क्षति पहुंचा चुके थें.
उम्मीदवारों के चयन में किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं
जदयू जिलाध्यक्षों के साथ बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया कि 2024 का लोकसभा का चुनाव हो या 2024 के विधान सभा का मामला अब सारे पहलवानों का चयन खुद नीतीश करेंगे और उम्मीदवारों के चयन में किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा. इसके साथ ही सीएम नीतीश ने इस बात का भी संकेत दिया है कि 20 सूत्री की सभी कमेटियों में जदयू के सक्रिय कार्यकर्ताओं को समाहित किया जायेगा.
ध्यान रहे कि उधर नीतीश कुमार पार्टी को संजीवनी देने की तैयारी कर रहे हैं, इधर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अपने सियासी बम से राजनीतिक गलियारों में भुकंप ला रहे हैं. अपने ताजा बयान में ललन सिंह ने कहा है कि आज के दिन पूरे देश नीतीश कुमार के इंतजार में हैं, और खुद नीतीश कुमार भी इस संकट की घड़ी में देश का नेतृत्व करने को तैयार है. करीबन तीन दशकों की सार्वजनिक जीवन में नीतीश कुमार के दामन पर एक भी दाग नहीं लगा, भ्रष्टाचार की एक शिकायत भी दर्ज नहीं हुई, उनके घोर विरोधी भी उनकी इमानदारी और प्रशासनिक पकड़ का लोहा मानते हैं.
यह नीतीश कुमार ही थें, जिन्होंने बिहार को दूसरे राज्यों के मुकाबलें खड़ा किया, आज पूरे देश में सबसे ज्यादा तेजी से विकास करने वाला राज्य बिहार है, पिछले 17 सालों में नीतीश कुमार ने बिहार की छवि को पूर्ण रुप से बदल दिया है, अब जरुरत है कि वह देश का नेतृत्व करें और इस संकट से बाहर निकालें, विभाजनकारी नीतियों और नफरती एजेंडा से देश को मुक्ति दिलवायें.
इंडिया गठबंधन का सृजनकर्ता नीतीश कुमार
ध्यान रहे कि खुद नीतीश कुमार बार बार पीएम फेस या किसी भी बड़ी जिम्मेवारी से इंकार करते रहे हैं, उनका कहना रहा है कि उनकी कोशिश महज बिखरे विपक्ष को एकजुट करने की है, और इंडिया गठबंधन जिस स्वरुप में आज दिखलायी पड़ रहा है, उसके सृजनकर्ता और कोई दूसरा नहीं खुद नीतीश कुमार है, जब इस विपक्षी एकता के प्रति खुद कांग्रेस भी शंकालू थी, और यह मानकर चल रही थी कि कांग्रेस को छोड़कर किसी दूसरे दल में मोदी की नीतियों के खिलाफ खड़ा होने का जज्बा नहीं है, तब भी नीतीश कुमार लगातार विपक्षी दलों से मिलकर विपक्षी गठबंधन का अलख जगाये हुए थें.
बार बार टाला जा रहा है संयोजक पद का एलान
लेकिन दूसरी सच्चाई यह भी है कि बार-बार संयोजक बनाने की खबरों के बाद भी इसे टाला जा रहा है, इस प्रकार बगैर संयोजक की घोषणा किये हुए मुम्बई बैठक भी समाप्त हो गयी, अब जबकि सीट शेयरिंग की फार्मूला निकला जा रहा है, और खुद नीतीश कुमार यह घोषणा कर चुके हैं कि अक्टूबर में सीट शेयरिंग की फार्मूला तय कर लिया जायेगा और बापू की जयंती दो अक्टूबर से इंडिया गठबंधन की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों की शुरुआत हो जायेगी, आने वाले दिनों में समन्वय समिति की बैठक भी होने वाली है, खुद लालू यादव ने यह एलान कर दिया है कि वह जल्द ही पूरे बिहार का दौरा कर पीएम मोदी के खिलाफ जंग की जमीन तैयार करेंगे.
ललन सिंह का सियासी बम
लेकिन एन इसके पहले ललन सिंह के द्वारा नीतीश कुमार को पीएम फेस बनाने की मांग को सियासी बम माना जा रहा है. खास कर जब वह यह दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार देश का नेतृत्व करने को तैयार हैं, तब क्या यह माना जाय कि नीतीश कुमार सीट शेयरिंग से पहले इस बात का भरोसा चाहते हैं कि इस गठबंधन का नेतृत्वकर्ता कौन होगा? नीतीश कुमार के चेहरे पर बन चुकी है सहमति

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