पटना(PATNA): बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन में चल रही तकरार को लेकर राजभवन की नाराजगी कम भी नहीं हुई थी कि शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग अब आमने-सामने आ गया है. इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने बीपीएससी के सचिव को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों को शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य से अलग करने का आग्रह किया था.
BPSC की ओर से केके पाठक को लगी लतार
इस पत्र के जरिए कहा गया था कि ये प्रतिनियुक्ति किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है, न ही ये शिक्षा हित में है. जिसके बाद आयोग के सचिव ने भी शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर संविधान के दायरे में रहने की हिदायत दी थी. इसके बाद अब इस पत्र के जवाब में पाठक के तरफ से एक और पत्र आयोग को लिखा गया है, और कहा गया है कि इस विवाद को अधिक बढ़ावा नहीं दें वरना मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है.
BPSC ने कहा अगर कोई भी निर्णय मूर्खतापूर्ण लिया तो, कोर्ट में जायेगा मामला
वहीं शिक्षा विभाग की ओर से पत्र जारी कर कहा गया है कि आयोग की तरफ से जो पत्र लिखा गया है, उसके संदर्भ में ये कहना है कि बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानान्तरण, अनुशासनिक कार्रवाई और सेवाशर्त) नियमावली, 2023 में विहित प्रावधानों के विपरीत आयोग की ओर से की जा रही कार्रवाई से ध्यान भटकाव और अवांछित तथ्यों का उल्लेख किया गया है, जो न आवश्यक है और न ही उचित.

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