देवघर (DEOGHAR) - झारखंड में भी किसान अब धान, गेहूं उपजाने जैसी पारंपरिक खेती की जगह फल और सब्जियों की खेती में रुचि लेने लगे हैं. इसी क्रम में देवघर में कुछ महिला किसान स्वयं सहायता समूह बना कर अब स्ट्राबेरी की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही हैं.
स्ट्राबेरी के पौधों से अब लहलहा रहा बंजर ज़मीन
कुछ समय पहले दूर-दूर तक बंजर सा दिखने वाला भूखण्ड अब स्ट्राबेरी के पौधों से लहलहाने लगा है. दरअसल यह दृश्य देवघर के मोहनपुर प्रखंड के पननबेरा गांव का है. यहां कुछ महिला किसानों ने स्वयं सहायता समूह बना कर स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है. स्थानीय पारंपरिक फलों की खेती की जगह स्ट्राबेरी की खेती इनके लिए एक नया अनुभव है. लेकिन इन्हें अपनी मेहनत पर भरोसा है. इसलिए इन्हें उम्मीद है कि स्ट्राबेरी की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो सकती है.
प्रोत्साहन के साथ प्रशिक्षण
दरअसल इन महिला समूहों को झारखंड राज्य आजीविका मिशन की ओर से पहले प्रोत्साहित किया गया. बाद में इन्हें इसकी खेती की बारीकियों का बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया. अच्छी बात है कि अब इनके पौधों में फल भी आने शुरू हो गए हैं. इससे स्ट्राबेरी की खेती कर रही महिलाएं भी काफी खुश हैं. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और किसानी को लाभप्रद व्यवसाय के रूप में विकसित करने के लिए पारंपरिक खेती की जगह इस तरह की खेती को प्रोत्साहित करने की सख्त जरूरत है. देवघर के महिला किसानों का यह प्रयोग अगर सही साबित हुआ तो यह इस क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर
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