पाकुड़ (PAKUR) : एक मासूम बच्चा, उम्र मात्र 13 साल. चेहरे पर आंसुओं की लकीरें, कपड़े कीचड़ से सने, और दिल में बसी असहनीय पीड़ा. यह बच्चा थाने में खड़ा होकर फूट-फूटकर रो रहा था और उसकी एक-एक बात वहां मौजूद हर शख्स को झकझोर रही थी.
यह मासूम हिरणपुर थाना क्षेत्र के गोसाईपुर का रहने वाला है. उसका गुनाह बस इतना था कि उसने अपने पिता को शराब पीने से रोका. रोज-रोज की मारपीट और माँ के साथ होने वाले झगड़ों से तंग आकर उसने पिता का विरोध किया. पर नतीजा यह हुआ कि पिता ने बेटे पर ही हाथ उठा दिया. रोता-बिलखता बच्चा थाने पहुंचा और अधिकारियों से विनती की –मेरे पापा को समझाइए, शराब बेचने वालों को पकड़िए, और सरकार से कहिए कि शराब बंद कर दे… इससे घर-परिवार तबाह हो रहे हैं.
इतनी छोटी उम्र में यह बच्चा अपने बचपन का हक नहीं माँग रहा था, बल्कि शराबबंदी की गुहार लगा रहा था. यह नज़ारा सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज और सरकार के सामने खड़ा एक बड़ा सवाल है – आखिर कब तक शराब मासूमों का बचपन, माँ की इज्जत और परिवार की खुशियाँ छीनती रहेगी?
रिपोर्ट: नंद किशोर मंडल

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