रांची(RANCHI)-हेमंत सरकार के नयी नियोजन नीति को चुनौती देते हुए छात्र नेता जयराम महतो ने इसे झारखंड के युवाओं के सपनों की सौदा करार दिया है. जयराम महतो ने कहा है कि इस नियोजन नीति के माध्यम से सरकार ने दूसरे राज्यों के निवासियों के लिए झारखंड की नौकरियों को खुला छोड़ दिया है.
भाषा के बैरियर को तोड़ नौकरियों को ओपन टू ऑल किया गया
जयराम महतो ने कहा है कि हर राज्य सरकार अपनी जरुरत के हिसाब से नियोजन नीति का निर्माण करती है, उसकी प्राथमिकता अपने निवासियों को नौकरी देने की होती है. लेकिन भाषा के बैरियर को तोड़ कर हेमंत सरकार सारी नौकरियों को ओपन टू ऑल कर रही है. जबकि राज्य सरकार के पास अपनी शक्ति होती है, जिसके आधार पर वह नीतियों का निर्माण करती है, यदि झारखंड की जनता को 2016 का नियोजन स्वीकार ही होता तो हेमंत सरकार लाने की क्या जरुरत थी.
60:40 का फार्मूला छात्रों की पसंद नहीं, बल्कि उनकी बेचारगी
लेकिन यह सरकार तो युवाओं से सपनों के साथ सौदा कर रही है, उन्हें सीमित ऑप्सन देकर किसी एक को चुनने को विवश कर रही है, हालत यह हो गयी है कि अब जिंदा रहने को ही विकास मानने की विवशता पैदा हो गयी है, सरकार दावा कर रही है कि युवाओं ने 60:40 के फार्मूले को स्वीकार कर लिया है, जबकि सच्चाई है कि युवाओं के सामने दूसरा कोई ऑप्सन ही नहीं बचा है, उन्हें 50:50 का भी ऑप्सन दिया गया होता तो वह स्वीकार करने के लिए बाध्य होते.
दूसरे राज्यों के अधिकारियों के बच्चों को भी झारखंड में आरक्षण
जयराम महतो ने कहा कि इस प्रस्ताव में तो यहां काम कर रहे सभी अधिकारियों के बेटों-बेटियों को आरक्षण देने की बात कही जा रही है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय और पटना हाईकोर्ट का यह फैसला है कि एक राज्य का निवासी दूसरे राज्य में सरकारी नौकरियों में आरक्षण नहीं ले सकता, इस प्रकार तो जो आज 40 परसेंट में हैं, कल 60 फीसदी हिस्से में नौकरियों की मांग करने लगेंगे. यह किसी भी झारखंडी को स्वीकार नहीं होगा.
नयी नीतियों के साथ सामने आये हेमंत सरकार
जयराम महतो ने सरकार से नयी नीतियों के साथ सामने आने को कहा है. जिससे की झारखंडी युवाओं की हितों की रक्षा हो सके, और इसके लिए जरुरी है कि भाषा के बैरियर को बनाये रखा जाय, दूसरे कई राज्यों की नियोजन नीतियों का उदाहरण देते हुए जयराम महतो ने कहा कि जब उड़ीसा और दूसरे राज्य अपनी मातृ भाषा को अनिवार्य कर सकती है, तब हेमंत सरकार पीछे क्यों भाग रही है.
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