धनबाद(DHANBAD): धनबाद के टुंडी के रहने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के शव का कोई दावेदार सामने नहीं आया. अब प्रयाग मांझी के शव की अंतिम क्रिया कर दी गई है. इसके पहले पुलिस ने इंतजार किया. इतना ही नहीं, मनियाडीह थाने के दलुडीह उसके गांव भी पुलिस गई थी. परिजनों की खोज की थी. प्रयाग मांझी के घर के रूप में पुलिस को एक मिट्टी का ढहा हुआ टिल्हा मिला था. गांव वाले प्रयाग मांझी को जानने- पहचानने से भी इंकार कर दिया था. सूचना के मुताबिक शनिवार को प्रयाग मांझी के शव की अंतिम क्रिया कर दी गई.
तीन के शवों के दावेदारों के सामने नहीं आने पर हुआ अंतिम संस्कार
इसके साथ ही दो अन्य नक्सलियों के शवों की भी अंतिम क्रिया की गई. इनमे से किसी के परिजन के सामने नहीं आने के कारण पुलिस ने अंतिम क्रिया की. बता दें कि इस प्रक्रिया के पहले लालपनिया पुलिस मारे गए तीनों नक्सलियों के गांव गई थी और उनके जान पहचान वालों से शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की थी. लेकिन परिवार या किसी भी रिश्तेदार ने शव को पहचानने में किसी तरह की कोई पहल नहीं की. इस कारण शव की अंतिम क्रिया कर दी गई.
मुठभेड़ में आठ टॉप नक्सली मारे गए थे
बता दें कि सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ टॉप नक्सली लीडर मारे गए थे. इसके बाद चार के शवों को बोकारो जनरल अस्पताल और चार का अनुमंडल अस्पताल के मोर्चरी में रखा गया था. पांच नक्सलियों के शव को उनके परिजन ले गए, जबकि इनामी नक्सली प्रयाग मांझी सहित तीन की अंतिम क्रिया कर दी गई. 21 अप्रैल को लालपनिया थाना क्षेत्र के लुगू पहाड़ी में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में आठ नक्सली मारे गए थे. यह मुठभेड़ झारखंड का सबसे बड़ा मुठभेड़ बताया गया था. मारे गए नक्सलियों में अधिकतर टॉप स्तर के नक्सली थे. इस घटना के बाद लालपनिया पहुंचे डीजीपी ने कहा था कि इस कार्रवाई ने झारखंड पुलिस का सीना चौड़ा कर दिया है. नक्सलियों का अंत अब निकट है. नक्सली या तो झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर कर दे नहीं तो अब मारे जाएंगे. अब वह अंतिम दौर की लड़ाई लड़ रहे है.
प्रयाग मांझी के आतंक से कई इलाके थर्र -थर्र कांपते थे
प्रयाग मांझी के आतंक से कई इलाके थर्र -थर्र कांपते थे. 2013 में पाकुड़ के एसपी रहे अमरजीत बलिहार की हत्या कर दी गई थी. यह हत्या दुमका में की गई थी. इस हत्याकांड का मुख्य रणनीतिकार प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा ही था, ऐसा सूत्र बताते है. दुमका -पाकुड़ मुख्य मार्ग पर काठीकुंड में घात लगाए नक्सलियों ने पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की गाड़ी को उड़ा दिया था. इस हमले में एसपी सहित पांच जवान शहीद हो गए थे. इसके अलावे भी प्रयाग मांझी कई बड़े कांडों को अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभाई थी. . बोकारो का झुमरा इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता था , लेकिन पिछले तीन महीना में सुरक्षा बलों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर लगभग 10 नक्सलियों को ढेर कर दिया. बता दें कि 21 अप्रैल 2025 को एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा मुठभेड़ में मारा गया.
पुलिस अभिरक्षा में ही पत्नी की भी हुई थी मौत
इसके पहले 2024 में पुलिस अभिरक्षा में ही उसकी पत्नी जया दी की मौत हो गई थी. जया दी असाध्य रोग से पीड़ित थी. धनबाद के एक अस्पताल में वह नाम बदलकर इलाज करा रही थी. तभी इसकी सूचना गिरिडीह पुलिस को मिली. फिर मुखविरो से पुष्टि के बाद गिरिडीह पुलिस अस्पताल की घेराबंदी की और इलाज के दौरान ही उसकी गिरफ्तारी कर ली गई.16 जुलाई, 2024 को उसकी गिरफ्तारी हुई थी. धनबाद से उसे इलाज के लिए रिम्स रांची में भर्ती कराया गया था. जहां सूचना के मुताबिक सितंबर 2024 में उसकी मौत हो गई. वह भी 25 लाख की इनामी नक्सली थी. प्रयाग मांझी धनबाद के मनियाडीह थाना क्षेत्र के दलुगोड़ा गांव का रहने वाला था. बहुत कम उम्र में ही वह संगठन से जुड़ गया और आतंक का पर्याय बन गया था.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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