धनबाद (DHANBAD) : धनबाद के बलियापुर के असनबनी के ग्रामीण अब चुप नहीं बैठेंगे. शिकायतों के सिलसिला बढ़ रहा है. 18 जुलाई को ग्रमीणो की सभा भी प्रस्तावित है. आसानबनी गांव में 12 जुलाई को लाठी चार्ज का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है. इधर,18 जुलाई को आसानबनी में ग्रामीणों की सभा में ग्रामीण आर पार की लड़ाई की रूपरेखा तय करेंगे. आसानबनी में सेल द्वारा अधिग्रहित जमीन पर कब्जा को लेकर यह विवाद चल रहा है. ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई थी. सादे लिवास में कुछ लोगों ने ग्रामीणों के साथ मारपीट की थी. जिसका वीडियो वायरल हुआ था. इसके बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा है. जमीन खाली कराने गए अधिकारियों का कहना था कि अधिकतर ग्रामीणों ने मुआवजा की राशि ले ली है और जिन्होंने राशि प्राप्त नहीं की है, उनकी रकम रखी हुई है. जब चाहे ले सकते है. ग्रामीण जमीन देने का विरोध कर रहे है.
42 एकड़ अधिग्रहित जमीन को लेकर चल रहा विवाद
उनका कहना है कि जबरन बेदखली नहीं होने देंगे. बलियापुर के आसानबनी मौजा में सेल ने 42 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है. ग्रामीणों का कहना है कि जबरन उनसे जमीन खाली कराई जा रही है. 12 जुलाई को कथित तौर पर जबरन ग्रामीणों को बेदखल करने की कोशिश की गई. इस दौरान पुलिस और सेल कर्मियों ने ग्रामीणों पर लाठी चार्ज किया. इसके बाद ग्रामीणों ने घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है. धनबाद के डीसी और एसएसपी को नोटिस जारी किया गया है. आयोग ने चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है. फिलहाल जैसी की सूचना मिली है कि जमीन सीमांकन का काम रोक दिया गया है. बताया जाता है कि कुछ ग्रामीणों ने राशि ले ली है और कई ग्रामीणों ने राशि नहीं ली है. इस वजह से यह विवाद खड़ा हुआ है. ग्रामीणों को भरोसे में लिए बिना यह काम करने का भी आरोप लगाया गया है.
18 जुलाई को ग्रामीणों की होगी बड़ी सभा
18 जुलाई को ग्रामीणों की सभा है, देखना है कि उस सभा में क्या निर्णय होता है. घटना के बाद से ही इलाके में आक्रोश है. पूर्व विधायक आनंद महतो ने ग्रामीणों के साथ बैठक की थी और लाठीचार्ज के लिए सेल मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया था. कहा था कि इस घटना के खिलाफ विरोध ही एकमात्र विकल्प है. किसी को बसाने के लिए किसी को उजाड़ना कहां तक उचित है. घटना के विरोध में ग्रामीणों की गोलबंदी बढ़ती जा रही है. यह भी कहा जा रहा है कि बिना ग्रामीणों की आम सहमति के यह सब कैसे हो रहा है? अगर कुछ ग्रामीण राशि ले लिए हैं और कई नहीं लिए हैं, तो उनको संतुष्ट करने की जिम्मेदारी भी प्रशासन की है. प्रशासन और सेल मैनेजमेंट ने एक तरफा कार्रवाई कर ग्रामीणों के साथ अन्याय किया है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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