टीएनपी डेस्क(TNP DESK):जब भी तलाक होता है तो पति की ओर से पत्नी को गुजारा भत्ता देना पड़ता है. इन दिनों देश में हाई प्रोफाइल कपल्स का तलाक के बाद मामला और ज्यादा चर्चा में चुका है.चाहे वो भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और नताशा का तलाक हो या फिर मोहम्मद शमी का हो.ऐसे में सवाल उठता है कि पत्नी अपने पति से कितना गुजारा भत्ता मांग सकती है.इसको लेकर भारतीय कानून में क्या पैमाना रखा गया है.चलिए इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताते है.

पढ़ें क्या है कानूनी पैमाना

कई बार आप लोगों ने देखा होगा कि जब भी तलाक होता है तो किसी को हजारों में गुजारना पड़ता है तो किसी को लाखों रुपये मिल जाते है, तो कुछ लोगों को करोड़ों रुपये मिलते है. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर पति की ओर से जो गुजारा भत्ता दिया जाता है उसको लेकर कानून की ओर से क्या पैमाना तय किया गया है.अभी मामला इसलिए भी गरमाया हुआ है क्योंकि भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पूर्व पत्नी हसीन जहां ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की है.

किस आधार पर दिया जाता है alimoney

आपको बता दें कि मोहम्मद समी की पत्नी हसीन जहां से पहले ही तलाक हो चूका है जिसमे कोर्ट की ओर से मोहम्मद शमी को हर महीना अपनी पत्नी को 4 लाख देना तय किया गया  था लेकिन अब मोहम्मद शमी की पत्नी ने इस रकम को बढ़ाने की मांग की है.उनका कहना है कि बढ़ती महँगाई और मौजूदा खर्चे को देखते हुए यह रकम उनके लिए काफी कम है इसलिए इसमे बढ़ोतरी होना चाहिए.ऐसे में आपको जानकारी होनी चाहिए कि आखिर कोई पत्नी अपने पति से कितना alimony मांग सकती है या फिर अदालत रकम को कैसे तय करती है.

इन पहलुओ पर गौर करता है कोर्ट

आपको बता दें कि भारतीय कानून में वैसे तो alimony को लेकर कोई भी निश्चित राशि तय नहीं की गई है लेकिन alimony देते समय कई पहलुओ पर गौर किया जाता है जिसके अनुसर ही तय किया जाता है कि पत्नी को पति की ओर से कितना गुजारा भत्ता दिया जाएगा.इसके लिए सबसे पहले पति की आय, पत्नी की जरूरत, वही जीवनशैली और वैवाहिक जीवन की अवधि भी देखी जाती है.वैसे तो कोर्ट की ओर से पति के कुल आय में से 25 से 33% का हिस्सा गुजारा भत्ता के रूप में देने के लिए कहा जाता है लेकिन यह कम या ज्यादा हो सकती है.

 कोई निश्चित कानून नहीं

साफ शब्दों में कहें तो कानून की ओर से गुजारा भत्ता को लेकर कोई नियम तय नहीं किया गया है अगर पत्नी के पास आमदनी नहीं है और उसके बच्चे भी है तो रकम को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है .वही अगर पत्नी नौकरी करती है और वित्त रूप से सक्षम है अपने खर्चों को उठाने के लिए तो फिर इसको कम भी दिया जा सकता है.यानि अधिकतम alimony कितना हो सकता है इसकी कोई सीमा कोर्ट की ओर से तय नहीं की गई है.

पति के इनकम और पत्नी की जरुरत पर निर्भर करता है रकम

किसी भी महिला को पति की ओर से कितना गुजारा भत्ता मिलेगा. यह अलग-अलग स्थिति और परिस्थितयों के आधार पर तय किया जाता है.यदि पति की आय कम है तो फिर पत्नी को गुजारा भत्ता कम दिया जाएगा वहीं यदि पति की आय ज्यादा है और पत्नी की जरूरत भी ज्यादा है तो फिर पत्नी को ज़्यादा गुजारा भत्ता दिया जा सकता है.गुजारा भत्ता देते समय कोर्ट की ओर से पति की आय प्रमाण वेतन पर्ची, बैंक स्टेटमेंट और आय टैक्स रिटर्न की जानकारी मांगी जाती है., इसके आधार पर गुजारा भत्ता तय किया जाता है.

बच्चों की पढाई भी देखती है कोर्ट

इनकम के अलावा पत्नी के खर्च और बच्चों की पढाई जैसी जरूरतों को भी अदालत ध्यान में रखती है. हंसी जहां के मामले में हाई कोर्ट में इन आधारों पर रकम तय करेगी. इनकम प्रूफ में मोहम्मद शमी के आय में इजाफा हुआ है तो  कोर्ट alimony बढ़ाने पर विचार कर सकती है.