पटना (PATNA) : बिहार में अपराधी बेखौफ होकर दिनदहाड़े गोलीबारी, हत्या जैसे वारदात को अंजाम दे रहें है. पुलिस इन अपराधियों पर लगाम लगाने में असफल हो रही है. गुरुवार की सुबह ही अस्पताल के अंदर घुसकर अपराधियों ने गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया. जिससे प्रशासन की सुरक्षा पर सवाल उठे. इस बीच, एडीजी कुंदन कृष्ण ने इस मामले में बेतुका बयान दिया है. एडीजी का बयान न केवल गैर-ज़िम्मेदाराना है, बल्कि अपराध नियंत्रण में पुलिस की नाकामी को छुपाने की एक नाकाम कोशिश भी है. उनका कहना है कि मई-जून के महीने किसान खाली हो जाते हैं. इस वजह से क्राइम बढ़ जाता है. एडीजी का कहना है कि रोजगार और पैसे की कमी के कारण बिहार के युवा कॉन्ट्रैक्ट किलर बन रहे हैं.
एडीजी का ऐसा बयान उन्हीं के सरकार के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. जो लगातार रोज़गार के अवसर बढ़ाने का दावा कर रही है. एडीजी को ऐसा बयान देना सिर्फ जनता को बरगलाने जैसा है. या फिर यूं कह लें कि एडीजी का ये बयान राजनीति से प्रेरित है. अब यहां यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि अगर पुलिस राजनीतिक बयानबाज़ी का बहाना बनाकर अपराध को नज़रअंदाज़ करेगी, तो अपराधियों को कौन रोकेगा?
सच तो यह है कि पुलिस सिर्फ़ "आंकड़े रखने" और "निगरानी" की बात कर रही है, लेकिन अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं. कभी अस्पताल में घुसकर, कभी खुलेआम गोलीबारी करके. बिहार की जनता अब बहाने नहीं, कार्रवाई चाहती है. पुलिस से अपेक्षा की जाती है कि वह अपराधियों पर नियंत्रण रखे, न कि बयानबाजी करके अपनी नाकामी छिपाए.
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