पाकुड़(PAKUR): इन दिनों पाकुड़ जिले के हिरणपुर थाना परिसर में कुछ खास मेहमानों ने अपना डेरा जमा लिया है. ये मेहमान हैं हजारों किलोमीटर दूर रूस के साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षी, जिन्होंने थाना परिसर के हर पेड़ को अपना आशियाना बना लिया है. पक्षियों की चहचहाहट से पूरा थाना गुलजार हो उठा है और उनके कलरव से वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा महसूस की जा रही है.
थाना परिसर में तैनात पुलिसकर्मी जहां आमतौर पर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाते हैं, वहीं अब वे इन प्राकृतिक मेहमानों की मौजूदगी से आनंदित नजर आ रहे हैं. थाना प्रभारी रंजन कुमार सिंह के अनुसार, हर साल अप्रैल महीने से ये साइबेरियन पक्षी यहां आने लगते हैं और प्रजनन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद नवंबर-दिसंबर तक वापस लौट जाते हैं. खास बात ये है कि ये पक्षी अपने ही पुराने घोंसले में लौटते हैं.
प्रकृति का अद्भुत दृश्य बना थाना परिसर
हर पेड़ पर बने सैकड़ों घोंसले और उनमें फुदकते पक्षी एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं. हिरणपुर थाना परिसर इन दिनों मानो किसी प्राकृतिक अभ्यारण्य में तब्दील हो गया है. हालांकि पक्षियों की वजह से गंदगी होती है, लेकिन उनकी उपस्थिति से थाना परिसर में एक अलग ही रौनक रहती है.
कठिन सफर, लेकिन हर साल लौटते हैं
ये पक्षी साइबेरिया की कठोर सर्दी से बचने के लिए हजारों किलोमीटर का जोखिम भरा सफर तय कर भारत पहुंचते हैं. तेज हवाएं, आंधी-तूफान और प्राकृतिक बाधाओं के बावजूद ये पक्षी लगभग 4000 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां आते हैं. रास्ते में कई बार पक्षी अपनी जान भी गंवा बैठते हैं, लेकिन प्रकृति के इस अद्भुत चक्र को वे हर साल दोहराते हैं.
पानी में तैरते, हवा में उड़ते पक्षी
साइबेरियन पक्षियों की विशेषता यह है कि ये न केवल हवा में ऊँची उड़ान भरते हैं, बल्कि पानी में भी बड़ी आसानी से तैर सकते हैं. हिरणपुर में ये पक्षी आस-पास की नदियों और जल स्रोतों से घोंघा, छोटी मछलियाँ और अन्य जलजीवों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं.
प्राकृतिक धरोहर बनता जा रहा है हिरणपुर थाना
हर साल इन पक्षियों की वापसी हिरणपुर थाने को एक नई पहचान दिला रही है. जहां एक ओर यह थाना कानून व्यवस्था का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर अब यह प्रकृति प्रेमियों और पक्षी प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.
प्राकृतिक संतुलन और जैव विविधता को बनाए रखने में प्रवासी पक्षियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसे में इनका हिरणपुर थाने में सुरक्षित और स्नेहपूर्वक स्वागत होना, मानव और प्रकृति के सहअस्तित्व का एक सुंदर उदाहरण है.
रिपोर्ट: नंद किशोर मंडल, पाकुड़
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