रांची(RANCHI): झारखंड में सियासी हवा फिर से एक बार बदल रही है. कांग्रेस के विधायकों में अंदर खाने चल रही नाराजगी से कांग्रेस आलाकमान के नेता टेंशन में है. ऐसे में अब सवाल यह भी है कि आखिर कांग्रेस की नाराजगी से क्या इसका असर सरकार की सेहत पर पड़ेगा. तो इसका जवाब बेहद साफ है. झारखंड में बेहद मजबूती के साथ हेमंत सोरेन सरकार चल रही है और इसे कोई टेंशन नहीं है. यह मामला कांग्रेस के अंदर खाने का है जिसे उन्हे खुद ही सॉल्व करना है.
दरअसल हाल में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता और खिजरी विधायक राजेश कच्छप के तेवर से पूरी सियासत गरमाई हुई है. विधायक ने पहली बार मंत्री के कामकाज पर सवाल उठा दिया. इसके बाद रांची से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस का मंथन चला जिसमें सभी की नाराजगी पर बात हुई. खुद राहुल गांधी ने सभी मंत्री विधायक और नेताओं के साथ बैठक कर मंथन किया. हालांकि इस बैठक को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने खुल कर कुछ नहीं बोला. साथ ही साफ कहा कि पार्टी के काम पर चर्चा हुई है. लेकिन कहानी कुछ और थी. नाराजगी के मामले पर ही बात हुई थी.
ऐसे अब सवाल है कि कांग्रेस सरकार में साझेदार है. झारखंड में एक अहम भूमिका में है. 16 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे. जिसके बाद चार को मंत्रीमण्डल में शामिल किया गया. लेकिन अब कांग्रेस में बवाल मचा है. ऐसे में अब सरकार की सेहत पर क्या असर होगा. इसे जानने के लिए आपको आकड़ों को देखना होगा. क्योंकि पूरा खेल आंकडें का है. फिलहाल हेमंत सोरेन के पास 56 विधायकों का समर्थन है. इसमें कांग्रेस 16, झामुमो 34, राजद 4, माले 2 के विधायक है.
इस आंकड़े में सबसे ज्यादा सीट झामुमो के पास मौजूद है. अगर कांग्रेस के विधायक नाराजगी में कुछ कदम भी उठाते है तो सरकार पूरी मजबूती के साथ बनी रहेगी. इसमें नुकसान खुद कांग्रेस का होगा. झामुमो के पास सरकार चलाने के लिए आंकड़े काफी है. झामुमो-राजद और माले के साथ 40 विधायक मौजूद है. एक दो विधायक बाहर से समर्थन मिलना यह कोई बड़ी बात नहीं है.
यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान भी इस पूरे आंकड़ें के गणित को समझ रहा है. कोई भी स्टेप विधायकों के कहने पर नहीं लेने वाला है. क्योंकि जब सरकार बन रही थी इस समय भी 5 मंत्री कांग्रेस से बनाने की मांग उठी थी. लेकिन इसके बाद आंकड़ों को देखा और तस्वीर क्या बनी यह सभी के सामने है.
रिपोर्ट-समीर
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