रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति पल-पल रंग बदल रही है. आगे क्या होगा कहना बिल्कुल असंभव सा लग रहा है. ठीक किसी Thriller Film की कलाइमेक्स की तरह! जहां जब तक फिल्म खत्म ना हो जाए कुछ भी कहना आसान नहीं होता. झारखंड की राजनीति भी फिलहाल वैसी ही चल रही है, केवल संभावनाओं पर. सीएम समेत यूपीए के सभी विधायक जब तीन बस पर सवार होकर बाहर निकले तब ऐसा लगा जैसे सभी विधायकों को दूसरे राज्य शिफ्ट किया जा रहा है. लेकिन थोड़ी देर बाद पता चलता है कि सभी विधायकों को लतरातू डैम ले जाया गया है. हालांकि अब खबर आ रही है कि विधायकों को शाम तक वापस रांची लाया जायेगा और रात में मीटिंग होगी. प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय भी इस बैठक मे शामिल होने के लिए रांची आ रहे हैं.
रात करीब 8 बजे सभी नेताओं की बैठक होगी और आगे की रणनीति तय की जायेगी. हालांकि यूपीए के नेता लगातार कह रहे हैं कि पूरी यूपीए एकजुट है. बावजूद इसके यूपीए इतनी परेशान क्यों हैं? क्या डर है जिसके कारण यूपीए को इतनी बैठक और Resort की Politics करनी पड़ रही है. क्या यूपीए को भाजपा से डर है या अपनों के विश्वासघात का भय सता रहा है?
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (Office Of Profit) मामले में अगर सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की सदस्यता जाती है तब क्या होगा? अगर सीएम की केवल सदस्यता जाती है और उनके चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगती है तब भी हेमंत सोरेन को काफी दिक्कत होने वाली है. दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पद से इस्तीफा देकर फिर से सीएम की शपथ ले सकते है और छह महीने के अंदर चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन हेमंत सोरेन के लिए मुसिबत की बात ये है कि राज्य में मतगणना सूची का नविनिकरण चल रहा है. ऐसे में राज्य में छह महीने के अंदर चुनाव होना संभव नहीं है.
चुनाव नहीं होने के स्थिति में ना तो हेमंत सोरेन और ना ही कल्पना सोरेन सीएम बन सकती हैं. क्योंकि कल्पना भी कहीं से विधायक नहीं हैं और मौजूदा स्थिति में चुनाव होना संभव नहीं है. ऐसे में हेमंत सोरेन को किसी और विकल्प पर सोचना होगा. लेकिन जेएमएम के सहयोगी पार्टी किसी और चेहरे पर सहमत होती है कि नहीं ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा.
दरअसल, बात सिर्फ सहयोगी पार्टियों की नहीं है, जेएमएम पार्टी में भी कई चेहरे हैं जो मुख्यमंत्री के दावेदार हो सकते हैं. ऐसे में पूरी यूपीए किस चेहरे पर सहमत होती है ये भी बड़ी चुनौती होने वाली है. मिली जानकारी के अनुसार सीता सोरेन, चंपई सोरेन, शिबू सोरेन समेत कई नाम सीएम के चेहरे के लिए सामने हैं. ऐसे में क्या यूपीए सभी को एक साथ रख पायेगी या नहीं ये बड़ा सवाल है.
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राजनीतिक हलचल पर है भाजपा की पैनी नजर
झारखंड की सियासी संकट पर भाजपा भी पूरी तरह से नजर बनाए हुए है. भाजपा पर पहले भी झारखंड में सरकार गिराने का आरोप लगता रहा है. झारखंड कांग्रेस के तीन विधायक पहले ही कैश कांड में पकड़े जा चुके हैं. उन पर भाजपा से पैसे लेकर सरकार गिराने का आरोप लगा है. ऐसे में भाजपा फिलहाल किस रणनीति पर काम कर रही है ये भी यूपीए के लिए बड़ी मुसिबत हो सकती है. क्या भाजपा यूपीए विधायकों को तोड़ने में कामयाब होगी या यूपीए एकजुट रहेगी ये तो समय ही बता पायेगा. खैर, बता दें कि सभी विधायक लतरातू डैम से रांची वापस लौट रही है. रात 8 बजे यूपीए की बैठक होगी और आगे मकी रणनीति तय की जायेगी.
कॉपी: विशाल कुमार, रांची
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