टीएनपी डेस्क (TNP DESK): आज सूचना क्रांति के इस जमाने में बगैर शिक्षा के रहना जिंदगी को नरक बनाने के समान है. शिक्षा ही वह रोशनी है, जिसके जरिए इंसान अपनी जिंदगी में उजाला ला सकता है. झारखंड का लातेहार जिला ने शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ माना जाता है. लेकिन मौजूदा वक्त में ये देश के अन्य जिलों के लिए एक नई राह मुक्कमल कर रहा है. लातेहार वर्तमान में निरक्षरों को साक्षर करने में अव्वल जिला के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. जिला साक्षरता समिति की तरफ से चलाए जा रहे नवभारत साक्षर अभियान में जिस  तरह स्थानीय लोगों में पढ़ने लिखने की ललक बढ़ी है. आने वाले दिनों में लातेहार जिला शत-प्रतिशत साक्षर जिला बन जाएगा. 

मार्च महीने में 13 हजार से अधिक बनें साक्षर 

मार्च महीने में लातेहार जिले में 13 हजार से अधिक निरक्षर नव साक्षर बन गए हैं. अगर इस जिले के साल 2011 की जनगणना के मुताबिक साक्षरता दर देखें तो 60% से भी कम थी. इसमें महिलाओं की साक्षरता दर तो महज 48% ही थी. लेकिन वर्तमान समय में लातेहार जिले में साक्षरता दर में काफी इजाफा हुआ है. 2011 में हुए जनगणना के बाद किए गए सर्वे में लातेहार जिले में 3 लाख से अधिक महिला- पुरुष निरक्षर निकले थे. लेकिन इसके बाद जिला साक्षरता समिति की तरफ से चलाए गए अभियान में 98 हजार से अधिक लोग साक्षर बन गये. शिक्षा के प्रति जागरुकता औऱ लोगों में इसकी महत्ता बताई गई. जिसका नतीजा रहा है कि लोगों में पढ़ने लिखने की ललक बढ़ी औऱ शिक्षित बन रहें हैं. 

नवभारत साक्षरता अभियान ने बदली तस्वीर 

लातेहार जिले में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम ने ही शिक्षा का अलख जगाया. इस कार्यक्रम ने निरक्षरों को साक्षर बनाने में मील का पत्थर साबित हो रही है. इस अभियान की खासियत ये है कि गांव के ही पढ़े-लिखे लोग और शिक्षित बच्चे अपने आसपास के निरक्षर बुजुर्गों को अक्षर ज्ञान दे रहे हैं. जबकि इसके बादले कोई पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता. गांव में लोगों की पढ़ाई के लिए हर दिन चौपाल लगाई जाती है. जहां निरक्षर बुजुर्गों को शिक्षित किया जाता है. इसके बादले कोई पैसा भी नहीं दिया जाता . विभाग की तरफ से इस अभियान में ग्रामीणों को काफी मदद दी जाती है और निरक्षर लोगों को भी अक्षर ज्ञान के लिए जरुरी सामग्री उपलब्ध कराई जाती है. 

लातेहार 100 प्रतिशत बनेगा साक्षर 

नवभारत साक्षरता अभियान को जमीन पर उतारने  सबसे अहम भूमिका लातेहार जिला शिक्षा अधीक्षक गौतम कुमार की रही. उन्होंने ही इसे आगा बढ़ाने का काम किया. उनका मानना है कि गांव में वालंटियर द्वारा निरक्षर ग्रामीण को अक्षर ज्ञान दिया जाता है . इसके बाद विभाग की तरफ से आकलन परीक्षा आयोजित की जाती है. पिछले महीने मार्च में 13 हजार से अधिक नव साक्षर आकलन परीक्षा में शामिल हुए थे . इनमे अधिकांश लोग परीक्षा में सफल हुए और साक्षर घोषित हुए . इसी का नतीजा रहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को साक्षर बनाने के मामले में लातेहार अव्वल जिलों में शामिल हो गया है. लातेहार को 100 प्रतिशत साक्षर जिला बनाने का लक्ष्य रखा गया है 

रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह 
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