दुमका (DUMKA) : आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के 11 साल पुराने मामले में दुमका के एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायधीश एसडीजेएम मोहित चौधरी ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. श्रम मंत्री संजय प्रसाद यादव सहित तीन लोगों के साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी चंपा कुमारी और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता धर्मेन्द्र नारायण प्रसाद ने बहस किया. बता दें कि इस केस में अभियोजन पक्ष ने सात गवाहों को प्रस्तुत किया है.
9 दिसंबर 2014 को पथरगामा थाना में दर्ज हुआ था मामला
मामला गोड्डा जिला के पथरगामा थाना में 09 दिसम्बर 2014 को विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता का मामला दर्ज किया गया था. गोड्डा के पथरगामा थाना में तत्कालीन बीडीओ पायल राज के लिखित आवेदन पर कांड संख्या 144/2014 के तहत दर्ज हुआ था. यह मामला रिप्रेजेंटेटिव ऑफ पीपुल एक्ट की धारा 123, 133 और डिफेमेशन ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 के तहत दर्ज किया गया था. इसमें तत्कालीन राजद प्रत्याशी संजय प्रसाद यादव, तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन मंडल, तत्कालीन जेवीएम प्रत्याशी संजीव आनंद एवं तत्कालीन झामुमो प्रत्याशी राजेश मंडल के खिलाफ सरकारी जगह पर पार्टी कार्यालय खोलने एवं पार्टी का झंडा-पोस्टर लगाने का आरोप था. आरोपियों में से भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन मंडल का निधन हो चुका है. मंत्री संजय प्रसाद यादव सहित तीन लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया.
बरी किए जाने पर मंत्री सहित तीनों लोगों ने कहा, न्यायपालिका पर था भरोसा
कोर्ट का फैसला आने के बाद मंत्री संजय प्रसाद यादव ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा था. प्रक्रिया के तहत समय जरूर लगा लेकिन आज कोर्ट ने बाई इज्जत बरी कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में 95 प्रतिशत झूठा केस होता है. पॉलिटिकल फिगर होने के कारण राजनीति के शिकार भी होना पड़ता है. वहीं तत्कालीन झामुमो प्रत्याशी राजेश मंडल ने कहा कि सीडी के आधार पर सरकारी संपत्ति पर पार्टी का झंडा लगाने के आरोप में तत्कालीन भाजपा, राजद, झामुमो और झाविमो प्रत्याशी पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ था, लेकिन कोर्ट में सीडी का सत्यापन नहीं हो पाया. गवाहों की गवाही के बाद कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और आगे भी रहेगा.
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