Ranchi-लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही झारखंड की सियासत में हर दिन एक नयी सुर्खी सामने आ रही है और हर सुर्खी के साथ सियासत की एक नई इबारत लिखी जा रही है. इन तमाम सुर्खियों में एक बड़ी सुर्खी पूर्व सीएम हेमंत का दुमका के सियासी अखाड़े में उतरने की है. इस खबर को सामने आते ही संताल की सियासत में भूचाल की स्थिति देखी जा रही है, जिस संताल को भेदने के लिए होर्स ट्रेडिंग और आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते-लगाते भाजपा को सीता सोरेन को कमल की सवारी करवानी पड़ी. हेमंत की इस इंट्री के बाद अब सारा खेल बिगड़ता नजर आने लगा है. भाजपा के रणनीतिकारों के सामने सन्नाटा पसरा दिखने लगा है और इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि संताल के किले में ‘मोदी का परिवार’ का जोर चलने वाला है, या फिर झामुमो का अचूक नुस्खा ‘दिशोम गुरु का चेहरा’ एक बार फिर से अपना कमाल दिखालने जा रहा है.

सीता के पालाबदल के बाद उड़ी हुई थी झामुमो के रणनीतिकारों की नींद

यहां ध्यान रहे कि सीता सोरेन की पालाबदल के बाद सूत्रों के हवाले सीता सोरेन को दुमका से चुनाव लड़ाने की के दावे किये जा रहे थें, हालांकि इसके पहले झामुमो के द्वारा भी सीता सोरेन को दुमका से चुनावी अखाड़े में उतारने की चर्चा थी. लेकिन इन चर्चाओं के बीच ही सीता सोरेन ने कमल की सवारी कर झामुमो के रणनीतिकारों की नींद उड़ा दी. यह सवाल गहराने लगा कि जिस सीता को दुमका के अखाड़े में उतारने की तैयारी थी. वह तो खुद ही कमल की सवारी कर बैठी, इस हालत में अब झामुमो का चेहरा कौन होगा? लेकिन अब जैसे ही पूर्व सीएम हेमंत का सियासी अखाड़े में उतरने की खबर आयी है, यही संकट भाजपा और सीता सोरेन के सामने गहराने लगा. सीता सोरेन को यह भली भांति पता है कि दुमका के दंगल में कूदना तो आसान है, लेकिन इस बार उनके साथ उस दिशोम गुरु का चेहरा नहीं होगा, जिसके सहारे अब तक का सियासी सफर पूरा हुआ है. सिर्फ “मोदी का परिवार” ही वह ताकत है. जिसके बूते वह मैदान में अपना दम खम दिखलाने की कोशिश कर सकती है. हालांकि इसका परिणाम क्या होगा और यह कोशिश कितनी कामयाब होगी? अपने आप में एक बड़ा सवाल है. क्योंकि सामने और कोई नहीं, वह हेमंत होगा, जिसके बारे में चंद दिन पहले तक सीता हुंकार लगाती फिरती थी कि “हेमंत है तो हिम्मत है”, सवाल यह है कि अब सीता को  वह हिम्मत कहां से आयेगी.  

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