टीएनपी डेस्क (TNP DESK): आज के महंगाई भरे समय में दवाओं की कीमत, लैब टेस्ट, डॉक्टर की फीस और अस्पतालों के खर्च लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में अगर किसी को गंभीर बीमारी हो जाए तो कुछ ही दिनों में वर्षों की जमा पूंजी छू मंतर हो सकती है. इसलिए, अगर आप बीमा पॉलिसी खरीदने जा रहे हैं तो सावधानी और समझदारी बेहद जरूरी है, ताकि बाद में पछताना न पड़े. ऐसे में बढ़ती बीमारियों और मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस लेना अब जिंदगी की जरूरत बन चुकी है. 

हालांकि, बहुत से लोग हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय उसकी टर्म्स एंड कंडीशंस को ठीक से नहीं पढ़ते हैं. इसके कारण जब वे दावा (क्लेम) करने की कोशिश करते हैं, तो कई बार क्लेम रिजेक्ट हो जाता है. इसलिए यह जरूरी है कि पॉलिसी से जुड़ी सभी जानकारी को ध्यान से पढ़ें और समझें, ताकि बाद में किसी तरह की दिक्कत न आए. अगर आप टर्म इंश्योरेंस प्लान लेते हैं तो इसमें प्रीमियम कम होता है और कवरेज ज्यादा मिलता है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहतर होता है. वहीं एंडोमेंट प्लान में बीमा के साथ मैच्योरिटी बेनिफिट भी मिलता है, लेकिन समान कवरेज के लिए इसका प्रीमियम अधिक होता है. संक्षेप में, पॉलिसी खरीदने से पहले उसकी शर्तें, कवरेज, एक्सक्लूज़न और क्लेम प्रोसेस को अच्छे से समझना बेहद जरूरी है, ताकि आप सही निर्णय ले सकें और मुश्किल समय में आर्थिक बोझ से बच सकें.

हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान, वरना बाद में बढ़ सकती है परेशानी

पॉलिसी में क्या-क्या कवर होगा, यह पहले जानें

हर बीमा कंपनी की अपनी अलग पॉलिसी और नियम होते हैं. इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले यह अच्छी तरह समझ लें कि पॉलिसी में कौन-कौन से खर्च शामिल हैं. कोशिश करें कि आप ऐसी पॉलिसी लें जिसमें अस्पताल का खर्च, टेस्ट और एम्बुलेंस शुल्क भी शामिल हो, ताकि इलाज के समय आपकी जेब से अतिरिक्त पैसा न देना पड़े.

पहले से मौजूद बीमारियां कवर हैं या नहीं

ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पहले से मौजूद बीमारियों को तुरंत कवर नहीं करते. आमतौर पर इन्हें 36 से 48 महीने बाद कवर किया जाता है. पॉलिसी लेते समय अपनी सभी पुरानी बीमारियों की जानकारी देना जरूरी है, ताकि बाद में क्लेम रिजेक्ट न हो.

अस्पतालों के नेटवर्क की जांच करें

पॉलिसी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि बीमा कंपनी के नेटवर्क अस्पताल आपके शहर या आसपास हैं. नेटवर्क अस्पतालों में आपको कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा मिलती है. अगर आपके इलाके में नेटवर्क अस्पताल नहीं हैं, तो आपात स्थिति में पॉलिसी आपके काम नहीं आएगी.

को-पे ऑप्शन समझें

कई लोग कम प्रीमियम के लिए को-पे (Co-pay) वाला विकल्प चुनते हैं. इसका मतलब है कि क्लेम के दौरान आपको खर्च का कुछ प्रतिशत खुद देना होगा, जैसे 10% या 20%. हालांकि इससे प्रीमियम थोड़ा कम हो जाता है, लेकिन इलाज के समय जेब पर भारी बोझ पड़ सकता है.

अपनी मेडिकल हिस्ट्री छुपाएँ नहीं

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय अपनी सेहत से जुड़ी कोई भी जानकारी छुपाना नुकसानदायक हो सकता है. कई लोग डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की जानकारी इसलिए नहीं देते क्योंकि उन्हें डर होता है कि आवेदन रिजेक्ट हो जाएगा. लेकिन ऐसा करना गलत है, इससे आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. इसलिए हमेशा सही जानकारी दें.

कवर कम लगे तो सुपर टॉप-अप प्लान लें

अगर आपको लगता है कि आपकी मौजूदा पॉलिसी का कवर इलाज के बढ़ते खर्चों के लिए पर्याप्त नहीं है, तो आप सुपर टॉप-अप प्लान ले सकते हैं. यह पहले से मौजूद हेल्थ पॉलिसी में अतिरिक्त सुरक्षा जोड़ देता है और बहुत कम प्रीमियम में ज्यादा कवर प्रदान करता है.

इसलिए, हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले उसकी सभी शर्तें, कवरेज, और क्लेम प्रोसेस को ध्यान से पढ़ें ताकि मुश्किल वक्त में आपको आर्थिक राहत मिल सके और आपका बीमा आपके काम आए.