टीएनपी डेस्क - झारखंड से बड़ी खबर है. यहां पर गठबंधन सरकार में महत्वपूर्ण घटक दल कांग्रेस के अंदर बेचैनी है. बेचैनी इस बात को लेकर है कि झारखंड में कांग्रेस एक साझीदार है. बिहार विधानसभा चुनाव में सीट नहीं मिलने की वजह से समीक्षा की बात कर रहा है. 14 नवंबर के बाद गठबंधन की समीक्षा करने की बात झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कही है.
कांग्रेस के सीनियर लीडर ने आखिर क्यों ऐसी आशंका जताई?
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार चल रही है. इसमें कांग्रेस और राजद साझीदार है. कांग्रेस के 16 विधायक हैं. झामुमो के 33 (घाटशिला खाली है) विधायक हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सीनियर लीडर प्रदीप बलमुचू ने कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की समीक्षा की बात कह रहा है. इससे कुछ आशंका उत्पन्न हो रही है. ऐसा लगता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा या तो कोई नया दल खोज लिया है. सरकार बनाए रखने के लिए या फिर कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा जा सकता है. प्रदीप बलमुचू ने कहा कि उन्होंने अपनी आशंका से कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश प्रभारी को अवगत करा दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को सीट नहीं मिला तो इसके लिए कांग्रेस कहीं से भी जिम्मेदार नहीं है. उसे तो बिहार में कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. प्रदीप बलमुचू की बातों से यह आशंका हो रही है कि झारखंड कांग्रेस के विधायकों को जेएमएम तोड़ सकता है.

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