मधेपुरा (MADHEPURA) - कोरोना वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के दावे और खुलासे होते रहे हैं. लेकिन नया दावा कुछ हट कर है. मधेपुरा के एक 84 वर्षीय बुजुर्ग का दावा है कि उन्होंने एक-दो नहीं बल्कि पूरे 11 बार कोरोना का टीका लगवाया है. उनका कहना है कि इस टीका से उन्हें कई तरह के फायदे भी हुए हैं.
क्या है मामला
मधेपुरा जिला के उदाकिशुनगंज अनुमंडल के पुरैनी थाना के ओराय गांव निवासी ब्रह्मदेव मंडल का दावा है कि उन्होंने अब तक कोरोना वैक्सीन की 11 डोज ली है. इतना ही नहीं, उनका ये भी दावा है कि वैक्सीन से उन्हें काफी फायदा हुआ है. इस कारण से वे इसे बार-बार ले रहे हैं. बीते दिन वे वैक्सीन लेने के लिए चौसा पीएससी पहुंचे थे, लेकिन वहां वैक्सीनेशन का काम बंद होने के कारण वे अपना 12वां डोज नहीं ले पाए. ब्रह्मदेव मंडल की उम्र आधार कार्ड के अनुसार 84 वर्ष है. वे डाक विभाग में काम करते थे. फ़िलहाल सेवा निवृति के बाद गांव में ही रहते हैं. 13 फरवरी से 30 दिसम्बर 2021 के बीच उन्होंने वैक्सीन की 11 डोज ले ली है. इसके साथ ही उन्होंने अपने टीका का पूरा डिटेल डेट, टाइम और स्थान कागज में लिख कर रखा है. 13 फरवरी को उन्होंने पहला डोज पुरैनी पीएससी में लगवाया, दूसरा डोज 13 मार्च को पुरैनी पीएचसी में ही लगवाया, तीसरा 19 मई को औराय उप स्वास्थ्य केंद्र में, चौथा 16 जून को भूपेंद्र भगत के कोटा पर लगे कैम्प में. पांचवा 24 जुलाई को पुरैनी बड़ी हॉट स्कूल पर लगे कैम्प में. छठा 31 अगस्त को नाथबाबा स्थान केम्प में, सातवां 11 सितम्बर को बड़ी हाट स्कूल पर ही, आठवीं बार 22 सितम्बर को बड़ी हाट स्कूल पर ही टीका लिया. नौवां टीका 24 सितम्बर को स्वास्थ्य उप केंद्र कलासन में लिया, 10 वां टीका उन्होनें खगड़िया जिला के परवत्ता में और 11 वां टीका उन्होंने भागलपुर के कहलगांव में लिया. ब्रह्मदेव मंडल टीका को अमृत मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार ने बहुत अच्छी चीज तैयार की है. लेकिन कुछ लोग सरकार को बदनाम करना चाहते हैं.
टीका नहीं अमृत
एक व्यक्ति को 11 बार टीका लगाना टीकाकारण प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा करता है. ब्रह्मदेव ने 8 बार आधार कार्ड और एक मोबाइल नंबर पर टीका लिया, जबकि 3 बार मतदाता पहचानपत्र और पत्नी के मोबाइल नंबर के जरिए लिया. कैमरे से अलग स्वास्थ विभाग के कुछ कर्मियों ने बताया कि ऑफलाइन कैम्पों में लोग ऐसी गड़बड़ी कर सकते हैं. क्योंकि कैम्प में उनका आधार नंबर और मोबाइल नंबर लिया जाता है जो बाद में कंप्यूटर में फीड करने के बाद रिजेक्ट हो जाता है. इस घटना के सामने आने से स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आ गया है. सीएस डॉ. अमरेंद्र प्रताप शाही ने मामले की जांच करने की बात कही है. उन्होंने तत्काल पुरैनी और चौसा पीएचसी के प्रभारियों से रिपोर्ट मांगी है.
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