दुमका (DUMKA) : कहते है कि बचपन हर गम से बेगाना होता है, लेकिन हर बच्चे को ऐसा बचपन नसीब नहीं होता है. खासकर जब किसी बच्चे के सर से माता पिता का साया उठ जाता है तो उसके ऊपर गमों का पहाड़ टूट पड़ता है. कुछ ऐसा ही नजारा दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड के बेदिया गांव में देखने को मिल रहा है. जहां माता पिता की मौत के बाद दो वर्षों तक फूफा ने तीन अनाथ बच्चों की परवरिश की. इसके बदले में बच्चों के दादा से हर महीने 6 हजार रुपया मिलता था, लेकिन जब दादा ने रुपया देने में असमर्थता जताई तो फूफा तीनों बच्चों को लेकर जरमुंडी थाना पहुंच गए.

नियति ने तीन मासूम के साथ किया क्रूर मजाक

जरमुंडी थाना से तीन मासूम का हाथ थामे व्यक्ति शिवलाल हेंब्रम थाना पहुंचे. जो तीनों बच्चों को जरमुंडी थाना के हवाले करने पहुंचे. अमूमन जब कोई अपराध करता है तो परिजन उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर देते है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि भला खेलने कूदने की उम्र में इन मासूमों ने क्या अपराध कर दिया! तो आपको बता दें कि इन मासूमों ने कोई अपराध नहीं किया बल्कि नियति ने इसके साथ क्रूर मजाक किया है.

दो वर्षों से फूफा के पास रह रहे हैं तीनों मासूम

फूफा शिवलाल हेंब्रम की मानें तो वर्ष 2023 में एक सप्ताह के भीतर इन मासूमों के सर से माता-पिता का साया उठ गया. बीमारी से माता बिटिया टुडू और पिता लुखीलाल मरांडी की मौत के बाद तीनों बच्चे सोनामुनि, राकेश और सायमन मरांडी अनाथ हो गए. बच्चों के दादा जीवित है, लेकिन बच्चों की परवरिश करने में असमर्थता जताते हुए उन्होंने तीनों बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी अपने दामाद अर्थात बच्चों के फूफा शिवलाल हेंब्रम को दे दिया. शिवलाल भी बेदिया गांव के ही रहने वाले हैं. बच्चों की परवरिश के बदले दादा द्वारा प्रत्येक महीने 6 हजार रुपया शिवलाल को दिया जाने लगा. समय के साथ सब कुछ सामान्य हो गया. बच्चे भी फूफा को ही अपना सबकुछ मानकर हंसी खुशी रहने लगा. देखते ही देखते दो वर्ष बीत गए.

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया

कहानी यही समाप्त नहीं हुई. इसमें ट्विस्ट तब आया जब दादा ने बच्चों की परवरिश के बदले शिवलाल को 6 हजार रुपया देने में असमर्थता जताई. दादा चाहते है कि तीनों बच्चे अब उनके पास रहे लेकिन बच्चे फूफा को छोड़कर दादा के पास जाना नहीं चाहते. शिवलाल की भी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं की बगैर मदद के तीनों बच्चों की बेहतर ढंग से परवरिश कर सके. थक हार कर शिवलाल तीनों मासूम को लेकर जरमुंडी थाना पहुंचा और थाना प्रभारी श्यामानंद मंडल को वस्तुस्थिति से अवगत कराया. थाना प्रभारी द्वारा इसकी सूचना बाल कल्याण समिति को दी गई.

मामला पहुंचा बाल कल्याण समिति के पास, सोमवार को CWC के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा मासूम को

इस बाबत बाल कल्याण समिति के सदस्य किरण तिवारी ने बताया कि थाना प्रभारी से सूचना मिली है. बच्चे के फूफा को सोमवार को तीनों मासूम को दुमका के बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद तीनों बच्चों को आश्रय गृह में तत्काल आवासित किया जाएगा. उसके बाद समिति की अनुशंसा पर दो बच्चों को स्पॉन्सरशिप से जोड़ा जाएगा. जिसके तहत तीन वर्षों तक प्रत्येक बच्चे के ज्वाइंट अकाउंट में चार हजार रुपए प्रति माह दिया जाएगा. बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए आवासीय विद्यालय में दाखिला कराया जाएगा. लेकिन इसके लिए तमाम प्रक्रिया से गुजरना होगा. 

सरकारी योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया है जटिल, संवेदनशीलता दिखानी होगी प्रशासन को

ऐसे अनाथ बच्चों को रिस्टोर करने के लिए सरकार के स्तर से योजना चलाई जाती है, लेकिन उन योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई तरह की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. प्रक्रिया जटिल जरूर है लेकिन असंभव नहीं है. इसके लिए जिला प्रशासन को संवेदनशीलता दिखानी होगी, तभी मासूमों को योजना का लाभ मिल सकता है.