दुमका (DUMKA) : दुमका में गर्भवती महिला की मौत की द न्यूज पोस्ट की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस मामले में संज्ञान लिया है. दरअसल दुमका जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कोलायीबाड़ी की रहने वाली दुलाड़ हेंब्रम की मौत फूलोझानो मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान हो गई. महिला 9 महीने की गर्भवती थी. मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव परिजनों को सौंप दिया. परिजनों द्वारा शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. बाद में शिकारीपाड़ा प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष चौधरी को आवेदन देकर दोषी स्वास्थ्य कर्मियों पर कानूनी कार्यवाही के साथ-साथ मुआवजे की मांग की है. द न्यूज पोस्ट ने इस बाबत जब मंत्री से बात की तो उन्होंने तत्काल मामले में हस्तक्षेप किया. उन्होंने दुमका के सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह को फटकार लगाई है. पोस्टमार्टम नहीं कराने के लिए भी मंत्री ने फटकार लगाई. मंत्री ने मामले में गंभीरता से कमिटी बना कर जांच करने का निर्देश दिया है. बन्ना गुप्ता ने इस बाबत डीसी रविशंकर शुक्ला को भी निर्देश दिया कि मामले की जांच कर शीघ्र रिपोर्ट दें. क्या है पूरा मामला देखिए द न्यूज़ पोस्ट की खास रिपोर्ट में...
टीका लगाने के बाद बिगड़ी तबियत!
दुमका जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कोलाईबाड़ी की रहने वाली दुलाड़ हेंब्रम की मौत फूलोझानो मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 18 नवंबर की रात हो गई. महिला 9 महीने की गर्भवती थी. महिला की मौत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. महिला के पति जतिन मुर्मू का आरोप है कि 17 नवंबर को पत्नी दुलाड़ हेंब्रम रुपए की निकासी करने शिकारीपाड़ा स्थित ग्राहक सेवा केंद्र गई थी. लौटते वक्त ग्राहक सेवा केंद्र के सामने कोविड-19 का टिका दिया जा रहा था. स्वास्थ्य कर्मी द्वारा पत्नी को बुलाकर कोविड-19 का टीका दिया गया. 17 नवंबर की देर रात उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. 18 नवंबर को उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिकारीपाड़ा में भर्ती कराया गया. प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए उसे मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मौत के बाद बगैर पोस्टमार्टम कराए शव परिजनों को सौंप दिया गया और परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. मौत की वजह क्या है यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा तैयार किए गए वीएसटी में स्पष्ट लिखा गया है कि कोविशिल्ड इंजेक्शन के पहले डोज का साइड इफेक्ट के रूप में कमजोरी, सांस लेने में परेशानी और सीना में दर्द का जिक्र है.
मुआवजे की मांग
मृतका के पति जतिन मुर्मू ने 22 नवंबर को शिकारीपाड़ा प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष चौधरी को आवेदन देकर दोषी स्वास्थ्य कर्मियों पर कानूनी कार्यवाही के साथ-साथ मुआवजे की मांग की है. शिकारीपाड़ा, दुमका बीडीओ संतोष चौधरी ने इसकी पुष्टि भी की. पति द्वारा आवेदन देने के बाद स्वास्थ्य विभाग रेस हो गई. आनन-फानन में सिविल सर्जन डॉक्टर बच्चा प्रसाद सिंह द्वारा 2 सदस्य की जांच टीम गठित की गई है. आरसीएच पदाधिकारी डॉ जावेद और एसीएमओ डॉ एएम सोरेन पूरे मामले की जांच करेगी. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
पोस्टमार्टम नहीं कराए जाने पर विवाद
दुलार हेंब्रम की मौत ने स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है. दुलाड़ की मौत की असली वजह क्या रही, यह तो बताना अब मुश्किल ही होगा क्योंकि उसके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया. लेकिन दुलाड़ की मौत पर संशय इसलिए भी है कि सीएससी शिकारीपाड़ा द्वारा तैयार किए गए भीएसटी में तबीयत बिगड़ने का कारण कोविशील्ड इंजेक्शन का पहला डोज बताया गया है. मामले में पोस्टमार्टम नहीं कराए जाने पर भी विवाद है. स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस मामले में फटकार लगाई है. सिविल सर्जन भी मानते हैं कि शव का पोस्टमार्टम नहीं कराना स्वास्थ्य विभाग की चूक है. लेकिन इस पूरे प्रकरण में फूलोझानो मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ रविंद्र सिंह का कहना है कि जब अस्पताल लाया गया तब उसमें कोई ऐसा लक्षण नजर नहीं आया. साथ ही यह तर्क भी दिया कि कोविशिल्ड का लक्षण आमतौर पर टीका के कुछ घंटे बाद ही रहता है. मृतका टीका लेने के 24 घंटे बाद आयीं, इसलिए इनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया.
बहरहाल, पूरे प्रकरण को देखते हुए गांव घर की एक कहावत याद आती है कि सांप के बिल में घुस जाने पर बाहर डंडा पटकने से कोई फायदा नहीं. दुलाड़ हेंब्रम की मौत मामले में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब जांच टीम गठित कर अपनी लापरवाही पर डंडा पटका जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही की वजह से राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान की रफ्तार पर ब्रेक लग सकता है. दुमका के आदिवासी बाहुल्य गांव में कोविड-19 के टीकाकरण अभियान को रफ्तार देने के लिए जिला प्रशासन ने कड़ी मशक्कत की थी.
रिपोर्ट - पंचम झा, दुमका
Recent Comments