गढ़वा (GARHWA) : गढ़वा जिला का नक्षत्र वन शासन और प्रशासन की उदासीनता का दंश झेल रहा है. नक्षत्र वन का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने 2007 में ही किया था. इसके बाद इस वन का निर्माण अब तक पूरा नहीं होना सवाल खड़े कर रहा है. इस योजना के लिए अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन यह योजना अभी तक पूरी नहीं हो पायी है.
2007 से लंबित पड़ी है योजना
गढ़वा जिले के रंका प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बनने वाले नक्षत्र वन का 2007 मे कांग्रेस समर्थित तत्कालीन मुख्यमंत्री मधुकोड़ा ने तामझाम के साथ शिलान्यास किया था. इसमें जोर-शोर से नक्षत्र वन बनाये जाने के लिए काम भी लगा और सरकार द्वारा करोड़ो रुपए खर्च भी किए गए. लेकिन, कुछ ही दिनों बाद जो काम बंद हुआ, वह चौदह साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है. जब यह बनना प्रारभ हुआ था तो स्थानीय लोगों को लगा कि यह नक्षत्र वन पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित होगा और यहां रोजगार के अवसर खुलेंगे. मगर, नक्षत्र वन का काम अधूरा क्यों पड़ा है, यह किसी को पता नही चल सका है. स्थानीय लोग जहां नक्षत्र वन के नही बनने से निराश हैं तो पूर्व विधायक इसे विभागीय स्तर पर काम पूरा कराने का प्रयास करने की बात कर रहे हैं. वहीं अधिकारी है कि अपना राग अलापते हुए सरकारी योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने की सरकार की मंशा को बताते हुए कोरोना बीमारी के कारण कार्य पूर्ण नहीं होने का हवाला दे रहे हैं.
प्रशासन के उदासीन रवैये से जनता परेशान
नक्षत्र वन के निर्माण कार्य में करोड़ो खर्च होने के बाद भी कार्य लंबित पड़ा है. इसे लेकर शासन और प्रशासन के कार्य पर उदासीनता का सवाल खड़ा होना लाजमी है. ऐसे मे अगर सरकार गंभीरता दिखाते हुए नक्षत्र वन को पूर्ण करा पाती है तो स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर के साथ क्षेत्र का विकास का द्वार खुल सकेगा. इससे लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा लेकिन यह योजना कब तक पूरा हो पाएगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है.
रिपोर्ट: शैलेश कुमार, गढ़वा
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