रांची(RANCHI):  मौत तो जब आती है और जिसका बुलावा होता है वह चला जाता है. ईश्वर के आगे आज तक किसी की नहीं चली है. लेकिन जब समय से पहले किसी की मृत्यु हो जाये तो दर्द और गम थोड़ा ज्यादा होता है. लेकिन झारखण्ड सरकार के एक ऐसे मंत्री मंडल की बात करेंगे जिसे लेकर चर्चा अलग तरीके की शुरू है. चर्चा की वजह है कि बीते दो साल में दो शिक्षा मंत्री दुनिया को अलविदा कह चुके है. पहले शिक्षा मंत्री रहते हुए जगरनाथ महतो और फिर अब रामदास सोरेन की अचानक तबियत ख़राब हुई और फिर दुनिया छोड़ कर चले गए. दोनों झारखण्ड की राजनीति में अपना कद रहने वाले थे और दोनों की मौत के समय कुछ चीजे मिलती जुलती दिखी.   

सबसे पहले बात शिक्षा मंत्री रहने जिनका निधन हुआ. उसमें रामदास सोरेन और जगरनाथ महतो शामिल है. जगरनाथ महतो का निधन चेन्नई के एक अस्पताल में हुआ. कोरोना संक्रमण के बाद उनकी तबियत ख़राब हुई जिसके बाद रांची से चेन्नई रेफर किया गया. लेकिन वह वहां से लौटे नहीं. चेन्नई में 6 अप्रैल को उनका निधन हो गया. जिसके बाद रांची उनका पार्थिव शरीर लाया गया और नावाडीह  में अंतिम संस्कार किया गया.

इसके बाद 02 अगस्त को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन अचानक अपने बाथरूम में गिर कर घायल हो गए. आनन फानन में उन्हें जमशेदपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहाँ उनकी हालत गंभीर देखते हुए उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया. दिल्ली में डॉक्टरों की देख रेख में उनका इलाज चलता रहा. लेकिन 15 अगस्त की रात 10. 20 मिनट में उनकी आत्मा शरीर को छोड़ कर चली गयी. इसकी जानकारी खुद शिक्षा मंत्री के सोशल मीडिया हैंडल से दी गयी. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर रांची लाया गया. जहाँ उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद उनके पैतृक गांव के लिए अंतिम यात्रा निकली.

अब अगर दोनों मंत्री के तबियत ख़राब होने के समय को देखे तो माह भले ही एक नहीं हो. लेकिन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी विधानसभा के सत्र में भाग लेने पहुंचे थे. इस दौरान सदन में ही उनकी तबियत ख़राब हो गयी. जिसके बाद पारस अस्पताल भेजा गया. बाद में चेन्नई रेफर किया गया. अब रामदास सोरेन को देखे तो वह भी पहले दिन विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हुए. इसके बाद दूसरे दिन वह अपने घर में गिर गए और दिल्ली रेफर कर दिए गए. जिसके बाद फिर वह वापस नहीं लौटे.

अब दोनों मौत के बाद झारखण्ड में एक अलग तरीके की चर्चा है. लोग चौक चौराहे यह बोलते दिख रहे है कि झारखण्ड में शिक्षा मंत्री का विभाग अब कोई लेना नहीं चाहेगा. यह खतरे वाला विभाग हो गया है. कई लोग इसे एक संयोग बता रहे है. उनका मानना है कि जब जिसकी ज़िन्दगी का अंत लिखा रहता है तब वह हो जाता है. मंत्री और विभाग से कुछ नहीं होता है. ऐसे में एक बात तो है कि कोई भी माननीय यह विभाग लेने से पहले सोचेगा जरूर