रांची(RANCHI): प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान  प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारी, विशेष रूप से शिक्षा सचिव और जिला प्रशासन, पूरे प्रकरण को दबाने और लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं.

अजय साह ने स्पष्ट किया कि पॉक्सो एक्ट की धारा 19 और 21 के अनुसार, यदि किसी नाबालिग के साथ यौन अपराध की जानकारी किसी को भी होती है तो उसे लिखित रूप में पुलिस को सूचित करना अनिवार्य है. साथ ही, पुलिस को यह मामला 24 घंटे के भीतर सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) और पॉक्सो कोर्ट में दर्ज करना होता है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘शंकर किसनराव खाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य’ मामले का हवाला देते हुए कहा कि यदि यौन हिंसा की जानकारी होने के बावजूद लिखित सूचना नहीं दी जाती है तो संबंधित व्यक्ति पर पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत आपराधिक मामला बनता है.

अजय ने प्रेस वार्ता के दौरान एक ऑडियो क्लिप सुनाते हुए कहा कि छात्राओं ने साफ तौर पर आरोप लगाए हैं कि स्कूल के एक फादर द्वारा पिछले दो वर्षों से यौन अपराध किया जा रहा है, वह भी एक से अधिक छात्राओं के साथ. इसके बावजूद अब तक पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है, जो कानून की खुली अवहेलना है.

उन्होंने तीखे सवाल उठाते हुए कहा –क्या अब झारखंड में पॉक्सो कोर्ट का काम भी अधिकारी करेंगे? पॉक्सो एक्ट की किस धारा के तहत शिक्षा सचिव या अन्य अफसर जांच और निर्णय का अधिकार रखते हैं? क्यों एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी पॉक्सो कोर्ट में मामला दर्ज नहीं हुआ?

प्रदेश प्रवक्ता ने मांग की कि इस गंभीर यौन हिंसा के मामले में तत्काल पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जाए. इसके अलावा झारखंड हाई कोर्ट के “जुवेनाइल जस्टिस कम पॉक्सो कमिटी” की निगरानी में पूरे प्रकरण की जांच हो.

कहा कि जो भी पदाधिकारी मामले को दबाने में संलिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई की जाए.