पटना(PATNA): चुनाव में जाति का समीकरण और उम्मीदवार चयन जीत का आधार माना जाता है. बिहार में खास कर जाति अहम रॉल में रहती है. लेकिन शायद टिकट बाटने में कभी कभार पार्टी सुप्रीमो यह तय करने में गड़बड़ी कर देते है कि कौन उम्मीदवार किस सीट पर सही रहेगा. कुछ ऐसा ही नवीनगर विधानसभा में देखने को मिला है. जब वर्तमान राजद विधायक का टिकट काट दिया गया. जबकि दूसरे दल ने यानि JDU ने इस सीट पर बाहुबली आनंद मोहन के बेटे को उम्मीदवार बनाया है. यहां इनके सामने एक मजबूत दावेदार की जरूरत थी. जिससे लड़ाई दिलचस्प हो. लेकिन मानो राजद ने इस सीट को ऐसे ही आनंद मोहन के झोली में डाल दिया हो. तो चलिए इस सीट का पूरा गणित समझते है. आखिर क्यों आनंद मोहन ने कह दिया कि अब इस सीट पर लड़ाई ही नहीं बची वह जीत गए.
क्या है मुद्दा
नबीनगर सीट औरंगाबाद जिला में आती है और लोकसभा कारकट के अंतर्गत है. यहां मुद्दा सिचाई के साथ शिक्षा और रोजगार का है. हलाकी नबीबगर में दो पवार प्लांट है. जहां करीब 4500 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. हद तक स्थानीय लोगों को इसमें रोजगार के अवसर मिले है. फिर भी सरकारी नौकरी एक बड़ा मुद्दा युवाओं का है.
1952 अनुगरह नारायण सिंह चुनाव जीते
अब बात इस सीट की कर लेते है.इस सीट पर पहली बार 1952 में अनुगरह नारायण सिंह चुनाव जीते थे और राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री बने. 1952 से अबतक इस सीट पर 18 बार विधानसभा का चुनाव हुआ है. जिसमें अलग अलग दल के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे है. अगर बार बीते 20 साल की करें तो यहां 2005 में विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने लोक जनशक्ति पार्टी का झण्डा बुलंद किया था. लेकिन 2010 और 2015 में जदयू के वीरेंद्र कुमार सिंह लगातार जीत दर्ज किया. इस बीच जब 2020 का चुनाव हुआ विजय कुमार सिंह ने वापसी की और राजद के टिकट पर चुनाव जीत गए.
विजय कुमार सिंह का टिकट कटने से क्षेत्र में नाराजगी
लेकिन अब 2025 के विधानसभा चुनाव में विजय सिंह का टिकट कट गया. आखरी समय तक आश्वासन मिला की टिकट की घोषणा कर दी जाएगी. और आखरी समय में राजद ने धर्मेन्द्र चंद्रवशी को सेंबल दे दिया और नामांकन पर्चा दाखिल किया. ऐसे में धर्मेन्द्र को टिकट मिलने से स्वर्ण जाती में नाराजगी दिखी. क्योंकि इस सीट पर उची जाति का दबदबा है. खास कर राजपूत जाति 25 प्रतिशत के करीब है.
नाराजगी का फायदा JDU के चेतन आनंद को मिल सकता है
लेकिन टिकट कटने से एक बड़ा वोट बैंक नाराज है. जिसका सीधा फायदा JDU को मिल सकता है. अब बात JDU की कर ले तो यहां राजपूत समाज के बड़े नेता और बाहुबली आनंद मोहान के बेटे चेतन आनंद को उम्मीदवार बना दिया है. जिससे यह तय माना जा रहा है कि एक तबके का सीधा वोट जदयू के खाते में जाएगा. और इसका फायदा चुनाव परिणाम में दिखेगा.
यही वजह है कि जब डब्लू सिंह का टिकट राजद ने काटा तो आनंद मोहन ने एक बयान दिया कि अब किसी से लड़ाई नहीं है. नबीनगर में उनकी लड़ाई डब्लू सिंह से थी. इसके बाद उनका रास्ता साफ है. इस बयान के पीछे की वजह साफ है कि आनंद मोहान ने डब्लू के टिकट कटने के बाद स्थानीय हालात को भाप लिया है.
1996 में चेतन आनंद की माँ लवली आनंद चुनाव जीती
अब इस सीट पर देखे तो आनंद मोहान के लिए यह कोई नया जगह नहीं है. यहां से लवली आनंद 1996 में जीत दर्ज कर चुकी है. तो पुरानी जमीन यहां बनी हुई है बस उसे संगठित करने की जरूरत है. जिससे चुनाव में फायदा पहुंच सकता है.
सबसे ज्यादा राजपूत वोटर
अब इस की बात करें तो यहां 263586 मतदाता है और साक्षरता दर भी 65 के ऊपर है. सबसे ज्यादा मतदाता राजपूत समाज के है 20-25 प्रतिशत के करीब है. वहीं दूसरे नंबर पर यादव है जिनकी संख्या 15-20 प्रतिशत एर रविदास 15 प्रतिशत है. बाकी अन्य जाति के लोग निवास करते है. अब इस आकडे को देख कर समझ सकते है कि यहां राजपूत के साथ अगर किसी और जाति का थोड़ा-थोड़ा भी वोट मिला तो उसका विधायक बनना तय माना जाता है.
अब मतदान में तय होगा कौन बनेगा किंग
अब राजनीतिक विसात बिछ चुकी है और सभी प्रत्याशी मैदान में खुद के जीत का दावा कर रहे है. ऐसे में अब 11 नवंबर को मतदान होना है और इस दिन मतदाता किस पर भरोसा दिखाते है यह 14 नवंबर को परिणाम के साथ सामने आएगा.

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