टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : किसानों के लिए बाजार समिति की अहम भूमिका मानी जाती है. यह बाजार समितियाँ किसानों को उनकी फसलों के लिए सही दाम दिलाने के लिए बेहद जरूरी मानी गई है, पर क्या आप झारखंड के बाजार समितियों की मौजूद स्थिति से अवगत हैं? आखिर यह बाजार समितियां किसानों के लिए असल में कितनी फायदेमंद है यह सोचने का विषय है.

राज्य के बाजार समितियों का आलम यह है कि हर दिन यहाँ करोड़ों रुपए का कारोबार होता है और हर महीने बाजार समिति को लाखों रुपए से अधिक का किराया भी मिलता है. लेकिन बाजार में सुविधाएं बिल्कुल ना के बराबर हैं. बाजार समिति में सुरक्षा का अभाव साफ दिखाई देता है और यहाँ तक कि कई बार गोदामों और दुकानों में चोरी हो चुकी है. यहां की अव्यवस्था पर न तो मार्केटिंग बोर्ड का ध्यान है और न ही बाजार समिति का. सुविधाओं के अभाव में व्यापारियों, ट्रक चालकों, खलासियों और मजदूरों को हर दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, बाजार में पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है. कई हैंडपंप खराब पड़े हैं और गर्मी में स्थिति और भी खराब हो जाती है. शौचालयों की हालत भी बदत्तर है. खासकर मजदूरों को छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए परेशानी उठानी पड़ती है.

बाजार समिति में दुकानों और गोदामों की स्थिति इतनी खराब है कि कई जगहों पर खंभे टूटे हुए हैं. छत भी टपकती है. सड़कें भी टूटी हुई हैं. लेकिन, बाजार समिति इस ओर कोई ध्यान नहीं देती है. परिसर में कई जगहों पर कूड़ा-कचरा फैला रहता है. स्थिति यह है कि परिसर में दिनभर आवारा जानवर घूमते रहते हैं.

ऐसे में खराब बुनियादी ढांचा और मूलभूत सुविधा भी ना मिल पाने जैसी समस्याओं के कारण ये समितियां ठीक से काम नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में राज्य में इन बाजार समितियों का गठन जिस उदेश्य से हुआ था वह साकार होता नजर नहीं आ रहा है. राज्य के बाजारों कि यह स्थिति ना केवल बदहाली की ओर इशारा कर रही है बल्कि किसानों को भी काफी नुकसान पहुँचा रहीं हैं. ऐसे में समय रहते इन समस्याओं का समाधान जरूरी है.