टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है. अदालत ने साफ किया है कि नदियों से बालू खनन तभी संभव होगा जब पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) की प्रक्रिया पूरी हो और संबंधित एजेंसियों से अनुमति ली जाए. साथ ही, ग्रामसभा की सहमति भी आवश्यक बताई गई है.
गौरतलब है कि झारखंड सरकार हर साल अलग-अलग जिलों में बालू घाटों की नीलामी करती रही है, जिससे राजस्व का बड़ा हिस्सा आता है, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद मौजूदा नीलामी प्रक्रिया पर रोक लग सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जहां निर्माण कार्य प्रभावित होंगे, वहीं बालू की कमी और अवैध खनन की समस्या भी बढ़ सकती है.
बालू खनन झारखंड में न केवल सरकारी खजाने का अहम जरिया है बल्कि हजारों स्थानीय लोगों की आजीविका से भी जुड़ा हुआ है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आने वाले दिनों में राज्य की खनन नीति और राजस्व ढांचे पर गहरा असर डाल सकता है.
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