TNP DESK: झारखंड घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में झामुमो ने भाजपा में एक और बड़ी सेंधमारी करने की तैयारी की है. इसका खुलासा 5 या 6 नवंबर को संभव है. 11 नवंबर को यहां मतदान होगा और 14 नवंबर को परिणाम सामने आएगा. इधर, भाजपा में सेंधमारी की वजह से कुछ अजीब स्थिति पैदा होती दिख रही है. लोग बताते हैं कि प्रत्याशी चयन को लेकर भी लोकल भाजपा नेताओं में आक्रोश है. इधर झामुमो नेता कुणाल षाड़ंगी के पोस्ट ने हलचल मचा दी है. घाटशिला उपचुनाव में क्या और कुछ होने वाला है? क्या भाजपा के कुछ और छोटे बड़े नेता पार्टी से मुंह मोड़ कर दूसरी तरफ जाने वाले हैं? क्या घाटशिला में इस बार भाजपा की हालत डगमगाई हुई है? क्या प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा फंस गई है? क्या पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है? ऐसे तमाम सवाल हैं, जो घाटशिला विधानसभा उपचुनाव को लेकर हवा में तैर रहे है. भाजपा इसको लेकर परेशान भी है. डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी हो रही है, लेकिन उसे बहुत सफलता नहीं मिल रही है. गुरुवार को भाजपा के कई बड़े नेता झामुमो में शामिल हो गए. इसकी खूब चर्चा अभी भी हो रही है.
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी के पोस्ट से मच गई है खलबली
इस बीच यह भी सूचना आई है कि पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी का सोशल मीडिया पर एक पोस्ट आया है. इस पोस्ट ने भाजपा खेमा में बेचैनी ला दिया है. 30 अक्टूबर को भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती और घाटशिला मंडल अध्यक्ष कौशिक कुमार सहित कई लोग भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद तो घाटशिला की राजनीति में खलबली मच गई. इधर, सोशल मीडिया पर कुणाल षाड़ंगी का एक और पोस्ट आया है. जिसके बाद भाजपा की चिंता बढ़ गई है. उन्होंने पोस्ट किया है कि--- पार्टी तो अभी शुरू हुई है. इसका मतलब सभी लोग अपने-अपने ढंग से लगा रहे है. संभवत इस पूरी कहानी की पटकथा लिखी जा चुकी है और 5 या 6 नवंबर को इसका खुलासा हो सकता है. लोग बताते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उस दिन घाटशिला में रहेंगे और उनकी मौजूदगी में भाजपा के कुछ लोग झामुमो में जा सकते है.
आखिर क्यों घाटशिला के भाजपा नेता एक -दूसरे पर संदेह कर रहे
फिलहाल हालत यह हो गया है कि घाटशिला में भाजपा के नेता एक दूसरे को संदेह की नजर से देख रहे है. लोग बताते हैं कि 30 अक्टूबर को भाजपा छोड़कर झामुमो में शामिल होने वाले नेताओं को समझाने, बुझाने और आकर्षित करने का काम कुणाल षाड़ंगी ने ही किया था. यह बात भी सच है कि घाटशिला के चुनाव परिणाम से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा , लेकिन इतना तो तय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर बाबूलाल मरांडी, चंपई सोरेन की प्रतिष्ठा को प्रभावित जरूर कर सकता है. यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि घाटशिला उपचुनाव में झामुमो की जीत तो तय है, सिर्फ जीत का अंतर बढ़ाने की जरूरत है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे -आगे होता है क्या?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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