धनबाद(DHANBAD):  देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया अब भूमिगत खदानों को नहीं चलना चाहती.  एक साथ देश के 9 भूमिगत खदानों को बंद करने की आधिकारिक घोषणा की गई है.  इनमें  झारखंड की भी एक भूमिगत खदान है.  यह भूमिगत खदान सीसीएल की बताई गई है.  यह  खदान कथारा  क्षेत्र में है.  हालांकि यह खदान 2017 से ही एक तरह से बंद थी.  माइन  क्लोजर पोर्टल पर अब इस खदान को बंद दिखाया जा रहा है.  देश में जिन नौ  भूमिगत खदानों को बंद किया गया है, उनमें पांच मध्य प्रदेश, एक महाराष्ट्र, एक छत्तीसगढ़, एक तेलंगाना और एक झारखंड की है.  वैसे बंद घोषित  भूमिगत खदानों का आगे क्या उपयोग हो सकता है, इस पर भी विचार चल रहा है.  एक समय था, जब कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी  इकाइयों में भूमिगत खदानों पर जोर था.  लेकिन धीरे-धीरे भूमिगत खदानों से उत्पादन लागत बढ़ने लगा. 

लागत बढ़ने से कंपनी ने पोखरिया खदानों की ओर रुख किया 
 
उसके बाद कंपनी ने पोखरिया खदानों  की ओर रुख  किया.  उसके बाद तो आउटसोर्सिंग कंपनियों का भी प्रवेश हुआ.  प्राइवेट पार्टी को ब्लॉक आवंटन होने लगे और कोयल के उत्पादन की रफ्तार बढ़ने लगी.  जिस अनुपात में कोयले  का उत्पादन बढ़ा, उसी रफ्तार में भूमिगत खदानें भी बंद होने लगी.  एक तरह से कहा जाना चाहिए कि भूमिगत खदानों  के  लाभकारी नहीं होने की वजह से इन्हें बंद करना कंपनी ने श्रेयष्कर समझा.  हालांकि कुछ घोषित बंद भूमिगत खदानों को प्राइवेट लोगों को भी देने की प्रक्रिया चल रही है.  वैसे, कोल्  इंडिया में आउटसोर्स उत्पादन की वजह से कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है.  बता दे कि  कोल इंडिया में  जिस रफ्तार से  कोयले  का उत्पादन बढ़ रहा है, उसी रफ़्तार  में श्रम शक्ति घट रही है.  यह हम नहीं कह रहे बल्कि आंकड़ा बता रहा है. यह सब हो रहा है आउटसोर्स कंपनियों के प्रवेश से.   पहली  अप्रैल 2025 को कोल इंडिया का कुल मैनपॉवर 2,20, 242 है, जबकि पिछले साल पहली  अप्रैल को यह  आंकड़ा 2,28,861 था.  पहली अप्रैल 2025 के आंकड़े में नन  एग्जीक्यूटिव की संख्या 2,05,134 है, जबकि एग्जीक्यूटिव की संख्या 15,108 बताई गई है.  महिला कामगारों की संख्या 20,009 है. जानकारी के अनुसार सबसे अधिक कामगार एसईसीएल में घटे है.  

पहली  अप्रैल 2019 में कोल्  इंडिया में कुल मैनपॉवर 2,85,479 था

 वैसे एक आकड़ा यह भी   है कि पहली  अप्रैल 2019 में कोल्  इंडिया में कुल मैनपॉवर 2,85,479 था. धनबाद में संचालित बीसीसीएल की बात की जाए तो पिछले साल मैनपावर की संख्या 33, 920 थी.   जो 2025 में 32,118 हो गई  है.  इसी तरह अगर सीसीएल की बात की जाए तो 2024 में मैनपॉवर का आंकड़ा 33,990 था, जो घटकर 33,091 रह गया है.  इसी तरह ईसीएल  की बात की जाए तो पिछले साल 48,711 मैनपॉवर था, जो 2025 में घटकर 46,996 रह गया है. कोल इंडिया में प्राइवेट प्लेयर्स की संख्या बढ़ने की वजह से यह सब हो रहा है. इससे कोल इंडिया और इसकी अनुषंगी  कंपनियों की परेशानी आगे बढ़ने वाली है.  कोयले की बिक्री में अब कोल्  इंडिया का मोनोपोली नहीं चल सकती है. प्राइवेट प्लेयर से कंपनी को चुनौती मिल सकती है. कैप्टिव  और कमर्शियल कोल्  ब्लॉक से तगड़ी चुनौती मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता है.  इससे कोल इंडिया की  आमदनी भी प्रभावित हो सकती है.  कैप्टिव  एवं कमर्शियल कोल्  ब्लॉकों से अब धीरे-धीरे कोयले का उत्पादन होने लगा है.  ऐसे में कई बड़ी कंपनियां, जो कोयला खरीदती  थी , वह खुद से उत्पादन करने लगी है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो