रांची (RANCHI) : झारखंड में उग्रवाद प्रभावित जिलों के थानों के लिए जेनरेटर खरीद का टेंडर रद्द होने के मामले में हाईकोर्ट से सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि जेनरेटर खरीद का टेंडर गलत नीयत से रद्द किया गया. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने आपूर्तिकर्ता द्वारा भुगतान की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल 25 मार्च 2024 को मेसर्स जी.एस. इंटरप्राइजेज ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. दायर याचिका में कहा गया था कि झारखंड पुलिस ने उग्रवाद प्रभावित जिलों के लिए जेनरेटर खरीद का टेंडर जारी किया था. टेंडर के निपटारे के बाद इसे सफल घोषित करते हुए कार्यादेश जारी किया गया था. इसके आलोक में जी.एस. इंटरप्राइजेज ने 10 केवी के 64 जेनरेटर की आपूर्ति की थी. जेनरेटर की आपूर्ति के बाद पुलिस विभाग ने जेनरेटर की जांच के लिए टीम गठित की थी. जांच के बाद टीम ने जेनरेटर को मानक के अनुरूप पाया. सब कुछ सही पाए जाने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया.

मेसर्स जीएस इंटरप्राइजेज द्वारा हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करने के बाद पुलिस विभाग ने जेनरेटर खरीद के लिए जारी टेंडर को 27 मार्च 2025 को रद्द कर दिया. टेंडर रद्द होने के बाद मेसर्स जीएस इंटरप्राइजेज की ओर से हाईकोर्ट में आईए दायर कर पुलिस विभाग की कार्रवाई को गलत बताया गया और आपूर्ति किए गए जेनरेटर के एवज में 2.66 करोड़ रुपये का भुगतान करने की मांग की गई. याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने टेंडर रद्द करने से संबंधित आदेश को स्थगित कर दिया. साथ ही लिखा कि टेंडर को गलत इरादे से रद्द किया गया है.

मामले की अगली सुनवाई आठ जुलाई को

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तिथि तय की है. साथ ही टेंडर रद्द करने के संबंध में जारी आदेश को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है. इससे पहले इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए पुलिस अधिकारियों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था.