देवघर (DEOGHAR) : शिक्षा से वंचित कमजोर वर्ग की छात्राओं को आवासीय सुविधा के साथ बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2004 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत केंद्र सरकार की 60 फीसदी और राज्य सरकार की 40 फीसदी वित्तीय भागीदारी होती है. कस्तूरबा में पढ़ने वाली छात्राएं स्थानीय निवासी होती हैं जिनके लिए सरकार एक ही छत के नीचे भोजन, आवास और पढ़ाई की पूरी व्यवस्था करती है. लेकिन देवघर के देवीपुर प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालय की स्थिति बेहद खराब है. इस विद्यालय में छात्राओं के भोजन की जिम्मेदारी विद्यालय की वार्डेन की होती है जो रसोइया से भोजन बनवाती हैं. लेकिन इस विद्यालय में यहां आवासीय शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राओं से अपना भोजन स्वयं बनवाने को कहा जाता है. ऐसा आरोप यहां पढ़ने वाली छात्राओं द्वारा लगाया जा रहा है.
परिवार में शादी से पहले छात्रा की संदिग्ध परिस्थिति में हो गई मौत
देवीपुर के नावाडीह गांव निवासी प्रह्लाद यादव ने अपनी बेटी का दाखिला देवीपुर कस्तूरबा गांधी विद्यालय में यह सोच कर कराया था कि उनकी बेटी पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो सके. लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही. परिजनों ने बेटी की मौत के लिए वहां की वार्डन को जिम्मेदार ठहराया है. बताया जा रहा है कि प्रह्लाद यादव के परिवार में शादी होने वाली है. वह अपनी बेटी को इसी शादी में शामिल कराने के लिए सोमवार को स्कूल गए थे. लेकिन वहां की वार्डन ने यह कह कर उन्हें वापस कर दिया कि उनकी बेटी की तबीयत ठीक नहीं है. उसका इलाज स्कूल में चल रहा है.
खाली हाथ लौटने के बाद आज सुबह कस्तूरबा विद्यालय से प्रह्लाद यादव को फोन किया गया कि उनकी बेटी काफी बीमार है, आप उसे बेहतर इलाज के लिए ले जा सकते हैं. स्कूल पहुंचने पर पिता को अपनी बेटी को ले जाने के लिए घंटों कागजी कार्रवाई में समय गंवाना पड़ा. पिता अपनी बेटी को स्कूल नहीं ले जा पाए. जैसे ही वह उसे ऑटो में लेकर स्कूल से थोड़ा आगे बढ़े तो उनकी बेटी की मौत हो गई.
परिजनों का आरोप है कि जब उसकी तबीयत खराब थी तो स्कूल के डायरेक्टर ने उसका इलाज क्यों नहीं कराया. प्रहलाद यादव ने बताया कि जब वह अपनी बेटी को शादी में शामिल होने के लिए लाने गए थे तो वार्डन ने उसे उनके हवाले क्यों नहीं किया. परिजन वार्डन और शिक्षिका पर बेटी की हत्या का आरोप लगा रहे हैं. इस घटना के बाद परिजन और स्थानीय लोग कस्तूरबा की व्यवस्था पर उंगली उठा रहे हैं और न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
कस्तूरबा गांधी विद्यालय की व्यवस्था की खुली पोल
घटना के बाद जागा प्रशासन, सभी छात्राओं की पीएचसी में जांच कराई. देवीपुर कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं ने वहां की व्यवस्था की पोल खोल दी. छात्राओं ने वार्डन और शिक्षिका पर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
छात्राओं की मानें तो उनका कहना है कि यहां आवासीय शिक्षा ले रही सभी छात्राओं को अपना खाना खुद बनाना पड़ता है. अगर कोई बीमार भी पड़ जाए तो उसे कोई चिकित्सकीय लाभ नहीं मिलता. प्रहलाद यादव की बेटी के साथ भी यही हुआ. उसके साथ रहकर पढ़ने वाली उसकी सहेली ने बताया कि उसकी तबीयत खराब थी और वह घर जाना चाहती थी लेकिन मैडम ने उसे जाने नहीं दिया. रात में उसे उल्टियां भी हुईं और बिना खाना खाए ही सोना पड़ा.
छात्राओं का आरोप-वार्डन खाना ही नहीं टॉयलेट भी करवाती है साफ
देवघर के देवीपुर स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़ने वाली सातवीं की छात्रा की संदेहास्पद मौत पर मचे बवाल के बीच जब जिला शिक्षा अधीक्षक विनोद कुमार जांच के लिए विद्यालय पहुंचे तो वे दंग रह गए. कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं ने डीएसई को घेर लिया और विद्यालय की वार्डन और शिक्षिका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. छात्राओं ने बताया कि किस तरह से उन्हें प्रताड़ित किया जाता था. एक छात्रा ने कहा कि उनसे आटा गूंथवाया जाता था, तो दूसरी ने कहा कि उनसे रोटी बनवाई जाती थी. छात्राओं ने कहा कि सर मैडम हमसे शौचालय साफ करवाती हैं. छात्राओं ने जब कस्तूरबा की वार्डन और शिक्षिका की पोल खोलनी शुरू की तो डीएसई दंग रह गईं. सबकी बात सुनने के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक ने दोषियों पर विभागीय कार्रवाई और कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.
घटना के बाद जागा प्रशासन, सभी बच्चियों का जांच सीएचसी में कराया
आज उसकी मौत की खबर पर जिला प्रशासन हरकत में आया और वहां पढ़ने वाले सभी छात्रों की देवीपुर सीएचसी में जांच कराई जा रही है. जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, उसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. अगर स्कूल प्रबंधन दोषी है, तो उचित और कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. प्रह्लाद यादव की बेटी अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके द्वारा लगाए जा रहे आरोप कितने गंभीर हैं, यह जांच के बाद ही पता चलेगा. लोग स्कूल प्रबंधन पर उंगलियां उठा रहे हैं. शिक्षा मंत्री से मांग है कि स्थानीय लोगों को शामिल कर हर कस्तूरबा विद्यालय की जांच कराई जाए. आरोपों में दम है, इसीलिए देवीपुर कस्तूरबा विद्यालय पर उंगलियां उठ रही हैं. शिक्षा मंत्री को पहल करनी चाहिए, ताकि झारखंड में ऐसी घटना दोबारा न हो.
रिपोर्ट-ऋतुराज
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