धनबाद(DHANBAD): रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग और विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद के छात्र यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर किसकी गलती का खामियाजा वह भुगत रहे है. ऐसे छात्रों की संख्या लगभग चार लाख  है. बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के छात्रों की संख्या दो लाख से कम नहीं है. विनोबा भावे विश्वविद्यालय के भी छात्रों की संख्या इसी के आसपास है जबकि रांची विश्वविद्यालय के बच्चों की संख्या चालीस हज़ार  से अधिक बताई गई है.  यह सब छात्र 2015 से 2019 तक अलग-अलग सेशन में नामांकन कराया था. विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद में 2015 से अब तक स्नातक परीक्षा में दो  जेनेरिक इलेक्टिव (सब्सिडियरी) की जगह  एक ही सब्जेक्ट की  परीक्षा ली गई है. 

धनबाद के दो लाख छात्र है परेशानी में 
 
इस वजह से दो लाख  छात्र प्रभावित हुए है.  रांची विश्वविद्यालय के चालीस हज़ार  संकट में है.  इन लोगों ने 2017 -2020,  2018 -2021 सत्र में स्नातक की परीक्षा पास की थी. इनकी  स्नातक डिग्री  खतरे में है.  इन विश्वविद्यालयों से स्नातक की पढ़ाई के बाद b.Ed की पढ़ाई करने वाले बच्चों के सामने परेशानियों का पहाड़ खड़ा है.  केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षक समेत अन्य कई पदों पर नियुक्ति परीक्षा फॉर्म नहीं भर पा रहे है.  इन संस्थानों की ओर से जारी नियुक्ति आवेदन में स्पष्ट लिखा हुआ है कि स्नातक में दो जेनेरिक पेपर की पढ़ाई होनी चाहिए.  

पांच साल बाद तक छात्र हो रहे परेशान

विश्वविद्यालय में  यह सब क्या हुआ ,इसको लेकर छात्र 5 साल बाद तक परेशान है. अब फिर से परीक्षा लेने की तैयारी की जा रही है.  ऐसे में बहुत सारे छात्र स्नातक करने के बाद कहीं नौकरी कर रहे हैं, अगर फिर से परीक्षा देंगे तो पास ही हो जाएंगे, इसकी क्या गारंटी है.  यह तो पूरी तरह से व्यवस्था का दोष है.  क्या राजनीति की तरह झारखंड पढ़ाई की भी प्रयोगशाला बन गई  है. जहां किसी भी चीज को गंभीरता से नहीं लिया जाता, आखिर इसके लिए  कोई ना कोई तो जवाबदेह तो  होगा ही.  तो क्या सरकार इसकी जांच करा कर छात्रों को अभिलंब राहत देने और दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आगे बढ़ेगी.  यह एक बड़ा सवाल है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो