रांची (RANCHI) : पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह से मिल कर झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस वापस लौट गए हैं. राज्यपाल की दिल्ली यात्रा जहां सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म कर रही थी, वहीं उनके लौटने के बाद भी कई तरह की बातें चर्चा में हैं. एक सवाल यह भी है कि क्या झारखंड सरकार का मुखिया बदलेगा ! अगर हां तो ऐसे हालात में गठबंधन की तस्वीर क्या होगी. साथी दलों का रवैया का रहेगा.
आरोपों की बरसात
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दिनों झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर कई आरोप जड़ें. खासकर मुख्यमंत्री द्वारा अपने नाम माइंस लीज लेने का मामला उजागर हुआ. पत्नी कल्पना सोरेन की कंपनी सोहराय लाइव स्टाक प्राइवेट लिमिटेड को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित औद्योगिक भूखंड आवंटित करने के आरोप लगे. भाई बसंत सोरेन की एक माइनिंग कंपनी में पार्टनरशिप को लेकर भी बातें उठीं. इन आरोपों के तुरंत बाद राज्यपाल की दिल्ली यात्रा के कई मायने निकाले गए.
लटक रही तलवार !
राजभवन के सूत्रों से मिली जानकारी पर यदि यकीन किया जाए तो भ्रष्टाचार के इन्हीं आरोपों की वजह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई विधायक बसंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता पर तलवार लटक रही है. ऐसे में सवाल है कि यदि मुख्यमंत्री और उनके भाई की सदस्यता जाती है तो झारखंड की मिली जुली सरकारकी सेहत पर क्या असर होगा.
बहरहाल सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही कानूनी विदों से जानकारी हासिल करने में लगे हैं. ऐसे में देखना यह है कि मई महीने में झारखंड की सियासत में किसके पसीने छुटते हैं और किसे राहत की फुहारें मिलती है.
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