टीएनपी डेस्क (TNP DESK) – दिन था 14 जून. केंद्र सरकार ने एक फैसला सुनाया. इसके बाद लगभग पूरे देश में कोहराम मच गया. बता दें कि सरकार ने सेना की नई भर्ती प्रक्रिया ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा की थी. मानो जैसे इस घोषणा ने छात्रों और सेना के अभ्यर्थियों के बीच आक्रोश पैदा करने का काम किया. आलम ये हुआ कि चारों ओर छात्र सड़कों पर उतर आए. रेलवे ट्रेक तक को नहीं छोड़ा. यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो चला. हर तरफ आक्रोश है कि आग, छात्रों का गुस्सा और सरकार से फैसला वापस लेने की मांग के बादल छा गए. ऐसे में देश की राजनीति भी गर्म हुई. अग्निपथ योजना’ के बारे में सामने आया सभी का अपना-अपना बयान. तो चलिए ‘अग्निपथ’ को लेकर विपक्ष के कुछ बड़े नेताओं के बयान के बारे में आपको बताते हैं.

 

 

 

कांग्रसे नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया में ‘अग्निपथ योजना’ को लेकर अपना पक्ष् रखा. उन्होंने ट्वीटर (twitter)  में लिखा “बार-बार नौकरी की झूठी उम्मीद दे कर, प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को बेरोज़गारी के ‘अग्निपथ’ पर चलने के लिए मजबूर किया है. 8 सालों में, 16 करोड़ नौकरियां देनी थीं मगर युवाओं को मिला सिर्फ़ पकोड़े तलने का ज्ञान। देश की इस हालत के ज़िम्मेदार केवल प्रधानमंत्री हैं”. उनके इस बयान से ये तो साफ हो गया कि वो अग्निपथ योजना के बारे वो जो भी सोचते हो, लेकिन प्रधानमंत्री के वादों और उन सब की नाकामी से वे काफी नाराज़ है.

“कांग्रेस सरकार पर तुरंत अग्निपथ योजना (Agnipath scheme) वापस लेने को लेकर दबाब बनाने में जुटी है. वहीं सड़कों पर जगह-जगह पर प्रदर्शन भी चल रहा है. ऐसे में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने युवाओं से अपील की है कि वह युवाओं के साथ हैं, साथ ही अहिंसा, संयम व शांति के मार्ग पर चल कर सरकार के सामने आवाज उठाने की भी बात कही है.

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्वीटर अकाउंट के पेज पर कहा कि 'ये लॉकडाउन और नोटबंदी जैसा फैसला है, अहंकार से बचे केंद्र सरकार', वहीं रविवार को ट्वीट (tweet) कर उन्होंने कहा कि केंद्र की अल्पावधि सैन्य भर्ती योजना से युवा काफी निराश हैं, और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है, हालांकि, उन्होंने युवाओं से संयम बरतने की अपील की है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के सेना में बहाली के लिए लागू अग्निपथ योजना से पल्ला झाड़ते हुए साफ-साफ कह दिया कि अग्निपथ स्कीम से जुड़ा मसला बिहार सरकार का नहीं है. जबकि बिहार में जेडीयू की सरकार बीजेपी की समर्थन से चल रही है. दूसरे बीजेपी शासित राज्यों ने नौजवानों के गुस्से को शांत करने के लिए प्रदेश स्तर पर होनेवाली नियुक्तियों में अग्निवीरों को कई लाभ देने की घोषणा की है. मगर बिहार सरकार ने साफ कर दिया है कि ये सिर्फ और सिर्फ केंद्र का मुद्दा है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीटर के माध्यम से अग्निपथ योजना के बारे में खुल कर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि “अग्निपथ की नीति सरकार ने बनायी है. अतः सरकार और सत्ताधारी दल के प्रवक्ता किसी और को आगे न करें. अमीर उद्योपतियों की आय की सुरक्षा से अधिक ज़रूरी है देश की सुरक्षा इसीलिए जो भी बजट कम पड़ रहा है उसके लिए सरकार कॉरपोरेट पर अतिरिक्त कर लगाए परंतु देश की सुरक्षा के साथ समझौता न करें”.

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध जताते हुए ट्वीट कर लिखा कि “युवाओं को नौकरी एवं अग्निपथ योजना की वापसी की माँग को लेकर 22 जून, सुबह 9 बजे महागठबंधन के सभी माननीय विधायक विधानसभा से लेकर राजभवन तक पैदल मार्च करेंगे. केंद्र सरकार द्वारा बिना सोचे समझे लाई गयी योजनाएँ Take off से पहले ही Crash हो जाती है. ऐसी योजनाओं की अकाल मृत्यु हो जाती है लेकिन BJP के लोग आखिर तक फ़ालतू में इनका Hip-Hip Hurray..करते रहते है और बाद में योजना वापस ले लेते है”.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर साझा की है. इन्होंने ट्वीट किया, ‘‘माकपा पोलित ब्यूरो ‘अग्निपथ’ योजना को सिरे से खारिज करता है. यह योजना भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाली है. पेशेवर सशस्त्र बल को ‘चार साल की संविदा पर सैनिकों की भर्ती करके’ तैयार नहीं किया जा सकता’’.